score Card

अमेरिका की गोद में बैठा पाकिस्तान अब अपने जिगरी दोस्त चीन को दिखा रहा आंखें, कंपनियों से बोला- यहां से निकल जाओ

पाकिस्तान और चीन के बीच रिश्तों में खटास तब बढ़ गई जब टैक्स चोरी के आरोपों पर पाकिस्तान ने चार चीनी कंपनियों को निगरानी कैमरे स्वीकार न करने पर संचालन बंद करने की चेतावनी दी. आर्थिक दबाव और अमेरिका की ओर झुकाव भी तनाव की वजह बना.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

नई दिल्लीः पाकिस्तान और चीन को लंबे समय से एक-दूसरे के सबसे करीबी साझेदार के रूप में देखा जाता रहा है. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दोनों देश अपनी मित्रता को आयरन ब्रदर्स कहकर पेश करते रहे हैं. लेकिन हाल ही में पाकिस्तान में जो घटनाएं सामने आई हैं, उनसे इस दोस्ती पर सवाल उठने लगे हैं. चीन की चार बड़ी कंपनियों को पाकिस्तान में अपने कामकाज बंद करने की चेतावनी मिलने के बाद दुनिया भर में हैरानी फैल गई है.

चीन से क्यों बना रहा दूरी?

पिछले कुछ वर्षों से पाकिस्तान की विदेश नीति में महत्वपूर्ण बदलाव दिखाई दे रहा है. आर्थिक संकट, IMF पर निर्भरता और भू-राजनीतिक दबाव के कारण पाकिस्तान धीरे-धीरे अमेरिका के करीब आने लगा है. इसके परिणामस्वरूप चीन के साथ उसके रिश्तों में ठंडापन साफ नजर आने लगा है. इसी बदलते समीकरण के बीच पाकिस्तान के फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (FBR) और पाकिस्तान में काम कर रही चीनी कंपनियों के बीच गंभीर विवाद सामने आया.

यह विवाद उन चार चीनी टाइल निर्माण इकाइयों में लगे इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग कैमरों को लेकर शुरू हुआ. मामला इतना बढ़ गया कि FBR ने साफ शब्दों में कह दिया कि अगर ये कंपनियां निगरानी प्रणाली को स्वीकार नहीं करना चाहतीं, तो उन्हें पाकिस्तान में उत्पादन बंद करना होगा.

अरबों की टैक्स चोरी का आरोप

यह पूरा विवाद पाकिस्तान की संसद की सीनेट स्टैंडिंग कमेटी ऑन फाइनेंस एंड रेवेन्यू की बैठक में चर्चा के दौरान सामने आया. बैठक की अध्यक्षता सांसद सलीम मंडवीवाला ने की. FBR चेयरमैन राशिद महमूद लैंगरियल ने समिति को बताया कि केवल टाइल सेक्टर में ही 30 अरब पाकिस्तानी रुपये की टैक्स चोरी की आशंका है.

लैंगरियल ने बताया कि उत्पादन की निगरानी और चोरी रोकने के लिए कैमरों की स्थापना अनिवार्य की गई थी. उनका कहना था कि वास्तविक उत्पादन पर नजर रखने का सबसे प्रभावी तरीका यही है. इसलिए कैमरे हटाने की मांग पर विचार नहीं किया जा सकता.

उन्होंने समिति को यह भी जानकारी दी कि सबसे पहले इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग सिस्टम चीनी उद्योग में लगाया गया था, जहां 76 अरब रुपये की टैक्स चोरी पकड़ी गई. इसके बाद सीमेंट सेक्टर में निगरानी लागू होने पर 102 अरब रुपये का राजस्व नुकसान उजागर हुआ. अब टाइल सेक्टर में भी यही पैटर्न सामने आ रहा है.

कंपनियों का विरोध

चीनी कंपनियों ने उत्पादन इकाइयों में लगे कैमरों पर आपत्ति जताई थी और कहा कि यह व्यवस्था उनके कारोबारी रहस्यों को प्रभावित कर सकती है. लेकिन FBR का रुख काफी सख्त रहा. एजेंसी का कहना है कि टैक्स चोरी रोकना सरकार की प्राथमिकता है, और नियमन का पालन सभी कंपनियों के लिए अनिवार्य है—चाहे वे किसी भी देश की हों.

हालांकि विवाद बढ़ने के बाद FBR ने कुछ नरमी दिखाई और समिति को बताया कि शुरू में लगे कुल 15 कैमरों में से 11 कैमरे हटा दिए गए हैं. अब केवल चार कैमरे लगाए गए हैं, जिनका उपयोग केवल उत्पादन की गणना के लिए होगा.

calender
21 November 2025, 12:01 PM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag