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यूरोप का बड़ा वार, एफिल टॉवर पर गूंजा फिलिस्तीन और ब्रिटेन ने अलग देश मानकर इज़राइल को करारा झटका दिया

यूरोप ने इज़राइल को सीधी चुनौती दी है। पेरिस के एफिल टॉवर पर फिलिस्तीन का झंडा लहराया गया और ब्रिटेन ने नया नक्शा जारी कर फिलिस्तीन को अलग देश दिखा दिया।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

International News:  फ्रांस की राजधानी पेरिस में एफिल टॉवर पर फिलिस्तीन का झंडा दिखाई दिया। यह दृश्य बेहद प्रतीकात्मक और ताक़तवर माना गया। इसी बीच ब्रिटेन ने नया नक्शा जारी कर फिलिस्तीन को मान्यता दी। नक्शे में फिलिस्तीन को इज़राइल से अलग दिखाया गया। यह संदेश साफ था कि यूरोप अब खुलकर फिलिस्तीन के साथ खड़ा हो रहा है। इज़राइल के लिए यह बड़ी कूटनीतिक चुनौती है। पेरिस से एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें दो झंडे एक साथ लहरा रहे थे। एक ओर फिलिस्तीन का झंडा और दूसरी तरफ इज़राइल का। यूरोप में यह पहली बार हुआ है जब यूएन बैठक से पहले ऐसा दृश्य दिखा। यह वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर फैला। दुनिया भर में इस पर बहस छिड़ गई। फिलिस्तीनियों के लिए यह उम्मीद का प्रतीक बना तो इज़राइल के लिए यह अलग-थलग पड़ने का संकेत है।

24 घंटे में चार देश साथ

सिर्फ एक दिन में चार बड़े देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता दे दी। ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल ने फिलिस्तीन को आधिकारिक नक्शों में जगह दी। यह कदम एक नई कूटनीतिक लहर साबित हुआ। इज़राइल की नीति अब कड़े विरोध का सामना कर रही है। फिलिस्तीन के लिए यह बड़ा सहारा है। यूरोप का झुकाव साफ दिखने लगा है और आगे और देश इस कतार में शामिल हो सकते हैं।

यूएन सदस्यों का बदलता समीकरण

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से अब चार फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं। केवल अमेरिका इसका विरोध कर रहा है। दुनिया के 150 से अधिक देश फिलिस्तीन को पहले ही मान्यता दे चुके हैं। इससे अमेरिका पर दबाव बढ़ रहा है। आने वाले यूएन सत्र में संतुलन फिलिस्तीन के पक्ष में झुक सकता है। यह इज़राइल के लिए मुश्किल स्थिति है।

सऊदी अरब की दो-राष्ट्र योजना

सऊदी अरब ने दो-राष्ट्र समाधान का प्रस्ताव फिर रखा है। इसमें दोनों देशों की सीमाएं तय करने और फिलिस्तीन को स्वतंत्र राज्य बनाने की बात है। इससे क्षेत्र में स्थिरता लाने की कोशिश होगी। फ्रांस ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। दोनों देश इसे इस यूएन सत्र में लाने की तैयारी कर रहे हैं। यह कूटनीतिक हलचल इज़राइल पर दबाव बढ़ा रही है।

संघर्ष की पुरानी जड़ें

इज़राइल और फिलिस्तीन का विवाद 1948 से चला आ रहा है। इसमें जमीन पर कब्ज़ा और येरुशलम की अल-अकसा मस्जिद का मसला शामिल है। अमेरिका के समर्थन से इज़राइल लगातार बस्तियां बढ़ा रहा है। फिलिस्तीन में कोई मज़बूत सरकार नहीं है, प्रशासन पर हमास का नियंत्रण है। हमास को ईरान का करीबी माना जाता है। दशकों से यह संघर्ष जारी है और शांति अभी दूर है।

यूरोप ने दिया नया संदेश

नक्शे और झंडे के ज़रिए यूरोप ने साफ कर दिया है कि अब वह फिलिस्तीन के पक्ष में है। यह दुर्लभ मौका है जब यूरोप एकजुट दिख रहा है। इज़राइल के लिए यह चिंता की बात है। फिलिस्तीन के लिए यह बड़ी हिम्मत है। राजनयिकों का मानना है कि यह बदलाव भविष्य की यूएन बहस को प्रभावित करेगा। अब बातचीत और नए समझौते की जमीन तैयार हो रही है।

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22 September 2025, 06:00 PM IST

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