पाकिस्तान में सेना प्रमुख आसिम मुनीर की शक्ति बढ़ाने की तैयारी, संविधान संशोधन की चर्चा तेज
पाकिस्तान में आसिम मुनीर की ताकत बढ़ाने की तैयारी चल रही है. बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख इसके बाद और ज्यादा मजबूत हो जाएंगे.

पाकिस्तान में एक बार फिर सेना की ताकत बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं. खबर है कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार, सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को और अधिक अधिकार देने के लिए संविधान में संशोधन करने की तैयारी में है. माना जा रहा है कि इस कदम के बाद पाकिस्तानी सेना प्रमुख की स्थिति पहले से कहीं अधिक मजबूत हो जाएगी.
पाकिस्तान ने आसिम मुनीर को क्यों सम्मानित किया?
गौरतलब है कि भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद से सम्मानित किया था. यह सम्मान अब तक केवल पूर्व राष्ट्रपति अयूब खान को मिला था. पदोन्नति के बाद मुनीर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ कई अंतरराष्ट्रीय दौरों पर भी जा चुके हैं. इतना ही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी उन्हें व्हाइट हाउस में लंच के लिए आमंत्रित किया था.
इस संवैधानिक संशोधन की जानकारी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी के एक ट्वीट से सामने आई. उन्होंने खुलासा किया कि प्रधानमंत्री शरीफ ने इस प्रस्ताव पर समर्थन के लिए उनकी पार्टी से संपर्क किया है. बताया जा रहा है कि यह 27वां संविधान संशोधन होगा, जिसमें न्यायपालिका और संवैधानिक अदालतों से जुड़े कुछ प्रावधानों में बदलाव के साथ-साथ सेना से संबंधित आर्टिकल 243 में भी संशोधन की योजना है.
क्या है आर्टिकल 243?
पाकिस्तान के संविधान का आर्टिकल 243 देश के सशस्त्र बलों की कमान और नियंत्रण से जुड़ा है. वर्तमान में यह शक्ति संघीय सरकार के पास होती है, लेकिन प्रस्तावित संशोधन के बाद सेना प्रमुख की भूमिका और प्रभाव काफी बढ़ सकता है. जानकारों का मानना है कि इससे नागरिक प्रशासन पर सेना की पकड़ और भी मजबूत हो जाएगी.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने मुनीर को फील्ड मार्शल का दर्जा देकर उनका कद बढ़ाया था, लेकिन कानूनी रूप से इस पद की कोई मान्यता संविधान में दर्ज नहीं है. आधिकारिक रूप से आसिम मुनीर 28 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं, हालांकि यह संशोधन उन्हें पद पर बने रहने या अतिरिक्त शक्तियां देने का रास्ता खोल सकता है.
भारत के लिए क्या मायने?
संविधान संशोधन को पारित कराने के लिए पाकिस्तान की संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे बदलावों से पाकिस्तान में विधायिका, न्यायपालिका और सेना के बीच शक्ति संतुलन फिर बदल सकता है. भारत भी इन घटनाक्रमों पर करीबी नजर रखे हुए है, क्योंकि आसिम मुनीर पहले से ही भारत-विरोधी बयानों और कश्मीर को लेकर आक्रामक रुख के लिए जाने जाते हैं.


