बांग्लादेश में फिर प्रोटेस्ट...मोहम्मद यूनुस के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग, भारी पुलिस फोर्स तैनात
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के सेवा कानून संशोधन के खिलाफ विरोध लगातार तेज हो रहा है. ढाका सचिवालय में अर्धसैनिक बल तैनात कर दिए गए हैं. सरकारी कर्मचारी इस कानून को 'काला कानून' मानते हैं और इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं. कानून बिना विभागीय जांच के बर्खास्तगी की अनुमति देता है. इसके खिलाफ कर्मचारी संगठनों और छात्र गुटों के बीच टकराव बढ़ रहा है, जिससे राजधानी में तनाव चरम पर है और कानून-व्यवस्था बिगड़ती जा रही है.

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जिसका नेतृत्व नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं, गंभीर विरोध प्रदर्शनों के चलते राजधानी ढाका में स्थित सचिवालय की सुरक्षा को कड़ा करने पर मजबूर हो गई है. मंगलवार को अर्धसैनिक बलों की तैनाती कर दी गई, जब विवादास्पद नए सेवा कानून के खिलाफ प्रदर्शन चौथे दिन भी नहीं थमे.
बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB), पुलिस की SWAT इकाई, और रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) के कर्मियों को सचिवालय के प्रवेश द्वारों पर तैनात किया गया है. इन जगहों पर देश के विभिन्न मंत्रालय और प्रशासनिक कार्यालय स्थित हैं, जिससे यह क्षेत्र संवेदनशील माना जाता है.
रैलियों और जनसभाओं पर रोक
ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (DMP) ने सचिवालय क्षेत्र में किसी भी प्रकार की जनसभा, विरोध रैली या सार्वजनिक समारोह पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है. इसके अलावा पत्रकारों और आम नागरिकों को भी परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई, जिससे सुरक्षा बंदोबस्त को और अधिक कठोर बना दिया गया है.
यह प्रतिबंध तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब यह प्रदर्शन एक बड़े राष्ट्रीय आंदोलन का हिस्सा बन चुके हैं, जो अंतरिम सरकार के नौ महीने के कार्यकाल के बावजूद आम चुनावों की मांग कर रहा है.
खराब होती कानून-व्यवस्था और बढ़ता असंतोष
रिपोर्टों के अनुसार, अंतरिम सरकार के गठन के बाद से देश की कानून-व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है. लोगों का विश्वास घट रहा है और निर्वाचित सरकार की मांग ज़ोर पकड़ रही है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अस्थायी प्रशासन लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अनदेखी कर रहा है, जिससे राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक तनाव गहराता जा रहा है.
कानून को बताया 'काला कानून'
विरोध का मुख्य कारण है लोक सेवा (संशोधन) अध्यादेश, 2025, जिसे राष्ट्रपति ने हाल ही में जारी किया है. इस अध्यादेश के तहत सरकार को अधिकार मिल गया है कि वह कर्मचारियों को विभागीय जांच के बिना सिर्फ कारण बताओ नोटिस के आधार पर बर्खास्त कर सकती है. वह भी चार खास श्रेणियों में.
सरकारी कर्मचारियों ने इस कानून को "गैरकानूनी और तानाशाहीपूर्ण" बताया है. उन्होंने नारे लगाए जैसे:
- गैरकानूनी काला कानून खत्म करो
- हम इसे नहीं मानते
- 18 लाख कर्मचारी एक साथ
- केवल संघर्ष, कोई समझौता नहीं
कर्मचारियों का दावा है कि यह अध्यादेश सरकार को निरंकुश शक्ति देता है और इससे प्रशासन में भय का माहौल बनेगा.
सचिवालय के संगठनों का सामूहिक विरोध
सचिवालय के सभी कर्मचारी संगठन एकजुट होकर इस कानून के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक अध्यादेश वापस नहीं लिया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. इसके साथ ही ‘जुलाई मंच’ नामक छात्र संगठन, जो अंतरिम सरकार के समर्थन में है, ने भी सरकारी कर्मचारियों के विरोध के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं. इन दो विपरीत आंदोलनों के कारण राजधानी में तनाव और अस्थिरता बढ़ रही है, जिससे अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं.


