रूस-भारत-चीन त्रिकोणीय वार्ता की वापसी? मॉस्को की पहल पर भारत ने जताई उम्मीद
रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिकोणीय गठजोड़ पिछले कुछ सालों से ठंडे बस्ते में है. पहले कोविड-19 महामारी ने इसकी रफ्तार रोकी, और फिर 2020 में पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच सैन्य तनाव ने इसे और पीछे धकेल दिया था.

Russia-India-China: भारत ने वर्षों से निष्क्रिय पड़े रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय संवाद को फिर से शुरू करने की संभावनाओं को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं. रूस द्वारा इस मंच को फिर से सक्रिय करने की पहल के बाद भारत की ओर से यह प्रतिक्रिया आई है. MEA के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि RIC एक परामर्शात्मक मंच है, जहां तीनों देश क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हैं. हालांकि उन्होंने वार्ता के संभावित समय को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी.
त्रिपक्षीय मंच वैश्विक हितों के लिए जरूरी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'RIC एक सलाहकार मंच है, जहां तीन देश अपने साझा हितों के वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार करते हैं. इसका आयोजन आपसी समन्वय और सुविधाजनक समय पर किया जाएगा.' यह बयान रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की उस अपील के बाद आया है, जिसमें उन्होंने RIC वार्ता को फिर से शुरू करने की आवश्यकता जताई थी.
लावरोव ने फिर से उठाई 'त्रिकोणीय वार्ता' की मांग
मॉस्को में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए लावरोव ने कहा, 'मैं रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय प्रारूप के कार्य को जल्द से जल्द फिर से शुरू करने में अपनी वास्तविक रुचि की पुष्टि करना चाहता हूं, जिसे वर्षों पहले येवगेनी प्रिमाकोव की पहल पर शुरू किया गया था.' रूसी उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुडेन्को ने भी इस पहल का समर्थन करते हुए कहा कि रूस इस विषय पर नई दिल्ली और बीजिंग दोनों के साथ सक्रिय बातचीत कर रहा है.
क्यों ठप पड़ा था RIC प्रारूप?
पिछले कुछ वर्षों में RIC मंच निष्क्रिय हो गया था. पहले कोविड-19 महामारी के कारण वार्ताएं स्थगित हुईं, और फिर 2020 में भारत-चीन के बीच लद्दाख में सैन्य टकराव के चलते रिश्तों में तनाव पैदा हुआ. इस कारण से त्रिपक्षीय संवाद ठंडे बस्ते में चला गया था.
चीन ने भी जताया समर्थन
चीन ने भी RIC संवाद को पुनर्जीवित करने के प्रयासों को समर्थन दिया है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, 'रूस, भारत और चीन के बीच सहयोग न केवल तीनों देशों के हित में है, बल्कि यह क्षेत्र और दुनिया में शांति, सुरक्षा, स्थिरता और प्रगति बनाए रखने में भी सहायक है.' RIC प्रारूप को दोबारा शुरू करने की कवायद ऐसे समय में हो रही है जब भारत, रूस और चीन के बीच कूटनीतिक गतिविधियां तेज हुई हैं. हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के दौरान अपने रूसी और चीनी समकक्षों से मुलाकात की थी. इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी जून महीने में चीन का दौरा किया था.
भारत, रूस और चीन के बीच त्रिपक्षीय संवाद को फिर से शुरू करने की पहल वैश्विक कूटनीति में एक नई दिशा का संकेत है. जहां एक ओर रूस इस मंच को फिर से सक्रिय करने के लिए प्रयासरत है, वहीं भारत ने भी इसे सकारात्मक संकेत देते हुए आपसी सहमति पर आधारित बताया है. आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह 'ट्रायोका' मंच फिर से मजबूत भूमिका में लौटता है.


