रूसी तेल खरीदना बंद करे...यूक्रेन-रूस युद्ध पर बोले डोनाल्ड ट्रंप- चीन पर 50 से 100% टैरिफ लगाएं NATO
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने NATO देशों से रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए कड़े कदम उठाने की अपील की है. उन्होंने रूसी तेल की खरीद रोकने और चीन पर 50–100% तक आयात शुल्क लगाने का सुझाव दिया. ट्रंप ने बाइडेन और जेलेंस्की को युद्ध का जिम्मेदार ठहराया और चेताया कि अगर NATO ने एकजुट कार्रवाई नहीं की, तो अमेरिका का समय और संसाधन व्यर्थ जाएंगे.

Donald Trump Russia Ukraine War : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया ट्रुथ पर नाटों देशों के लिए एक खुला पत्र जारी कर रूस-यूक्रेन युद्ध पर सख्त रुख अपनाने की अपील की है. ट्रंप ने इस युद्ध को “मृत्युकारी लेकिन मूर्खतापूर्ण” करार देते हुए कहा कि यदि उनके प्रस्तावों पर अमल किया जाए तो यह युद्ध जल्द समाप्त हो सकता है.
रूसी तेल की खरीद बंद करें, चीन पर भारी टैक्स लगाएं
अमेरिका तभी आगे बढ़ेगा जब NATO साथ दे
ट्रंप ने यह भी साफ किया कि अमेरिका तब तक रूस पर कड़े प्रतिबंध नहीं लगाएगा, जब तक बाकी NATO देश भी एकजुट होकर ऐसा नहीं करते. उन्होंने लिखा, “I am ready to ‘go’ when you are. Just say when?” यानी जब बाकी देश तैयार होंगे, तभी अमेरिका भी आगे कदम उठाएगा. उनके अनुसार, कई NATO देश अब भी रूसी तेल खरीद कर इस युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दे रहे हैं, जिससे पूरे गठबंधन की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है.
"यह ट्रंप की नहीं, बाइडेन और जेलेन्स्की की जंग"
ट्रंप ने अपने पोस्ट में वर्तमान अमेरिकी प्रशासन को भी निशाने पर लिया. उन्होंने कहा, “यह ट्रंप की जंग नहीं है. अगर मैं उस समय राष्ट्रपति होता, तो यह युद्ध कभी शुरू ही नहीं होता.” उन्होंने दावा किया कि केवल पिछले सप्ताह में 7,000 से अधिक जानें जा चुकी हैं और यदि तत्काल और सामूहिक कार्रवाई नहीं की गई, तो और भी हजारों लोगों की जान जा सकती है.
चेतावनी भरा अंत, NATO को दिया अल्टीमेटम
अपने संदेश के अंत में ट्रंप ने NATO को चेतावनी देते हुए कहा, “अगर NATO ने मेरी बात मानी तो युद्ध जल्द खत्म होगा… अगर नहीं, तो आप मेरा समय, अमेरिका की ऊर्जा और धन व्यर्थ कर रहे हैं.” उनके इस बयान के बाद NATO की भूमिका, पश्चिमी देशों की रणनीति और रूस-चीन के खिलाफ नीतियों को लेकर बहस तेज हो गई है. एक तरफ ट्रंप का प्रस्ताव उन्हें अंतरराष्ट्रीय मामलों में फिर से प्रभावशाली बनाने का संकेत देता है, वहीं दूसरी ओर यह वर्तमान अमेरिकी नीति की आलोचना के रूप में देखा जा रहा है.
पत्र राजनीतिक और कूटनीतिक दबाव
डोनाल्ड ट्रंप का यह पत्र केवल एक बयान नहीं, बल्कि एक राजनीतिक और कूटनीतिक दबाव की रणनीति है, जो NATO को फिर से एकजुट होकर रूस और चीन के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की ओर धकेलने की कोशिश कर रहा है. यह देखना दिलचस्प होगा कि NATO देश ट्रंप की इस अपील पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं, और क्या यह वाकई रूस-यूक्रेन युद्ध के मोर्चे पर कोई ठोस बदलाव लाने में सफल हो पाता है या नहीं.


