चीन के दलाई लामा चयन का रहस्य, जानिए कब और कैसे शुरू हुई यह परंपरा?
चीन के दलाई लामा कोई शक्स नहीं एक उपाधि है. ये उपाधि तिब्बतियों के सबसे बड़े धर्म गुरु को दी जाती है.

Dalai Lama Successor: तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन को लेकर एक बार फिर वैश्विक चर्चा तेज हो गई है. चीन द्वारा प्रचारित 'स्वर्ण कलश' परंपरा इस विवाद का केंद्र बनी हुई है, जिसके जरिए वह दलाई लामा के चयन पर अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहता है. लेकिन यह स्वर्ण कलश क्या है, यह कहां रखा गया है, और इसकी शुरुआत कब हुई? 15 वें दलाई लामा, तेनजिन ग्यात्सो, जो वर्तमान में भारत के धर्मशाला में अपना जीवन जी रहे हैं. उन्होनें यह स्पष्ट किया है कि उनके उत्तराधिकारी का चयन तिब्बती बौद्ध परंपराओं के अनुसार होगा, न कि किसी बाहरी शक्ति के हस्तक्षेप से. दूसरी ओर, चीन का दावा है कि स्वर्ण कलश की परंपरा के तहत दलाई लामा का चयन होना चाहिए, जिसे वह अपनी मंजूरी से वैध बनाना चाहता है.
स्वर्ण कलश परंपरा की शुरुआत
स्वर्ण कलश की परंपरा का शुरुआत 1792 में चीन के किंग राजवंश के दौरान हुआ था. यह परंपरा उस समय शुरू की गई जब किंग सम्राट कियानलॉन्ग ने तिब्बती धार्मिक और राजनीतिक मामलों में अपनी सत्ता को मजबूत करने के लिए इस प्रणाली को लागू किया. इस प्रक्रिया के तहत, संभावित दलाई लामा या पंचेन लामा के नामों को एक सोने के कलश में डाला जाता था, और फिर लॉटरी के माध्यम से एक नाम का चयन किया जाता था. इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य तिब्बती धार्मिक नेतृत्व पर चीनी प्रभाव को तय करना था. लेकिन, यह परंपरा 1792 से पहले के आठ दलाई लामाओं के चयन में उपयोग नहीं की गई थी, क्योंकि दलाई लामा की परंपरा 1587 से शुरू हुई थी. प्रोफेसर मैक्स ओइड्टमैन के अनुसार, "1990 के दशक में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने तिब्बत में चीनी संप्रभुता के प्रतीक और भविष्य के दलाई लामाओं पर नियंत्रण बनाए रखने के एक उपकरण के रूप में स्वर्ण कलश को पुनर्जनन किया."
स्वर्ण कलश कहां रखा गया है?
ऐतिहासिक डॉक्यूमेंट्स के अनुसार, तिब्बत में दलाई लामा और पंचेन लामा के चयन के लिए एक स्वर्ण कलश तिब्बत की राजधानी ल्हासा में रखा गया था. इसके अलावा, मंगोलियाई लामाओं के चयन के लिए एक दूसरा स्वर्ण कलश बीजिंग में रखा गया था. वर्तमान में, यह माना जाता है कि यह स्वर्ण कलश चीन के नियंत्रण में है, और चीनी सरकार इसका उपयोग तिब्बती धार्मिक नेतृत्व पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए करना चाहती है.वर्तमान दलाई लामा ने इस प्रक्रिया की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा है, "उसका बेईमानी से यूज किया जाएगा, तो इसमें 'किसी भी आध्यात्मिक चीजों की कमी होगी." उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगले दलाई लामा का चयन उनकी स्थापित गादेन फोडरंग ट्रस्ट द्वारा किया जाएगा, जो तिब्बती परंपराओं के अनुसार काम करता है.
दलाई लामा का रुख और वैश्विक समर्थन
15वें दलाई लामा ने यह साफ कर दिया है कि उनका उत्तराधिकारी चीन के नियंत्रण से बाहर पैदा होगा और उसका चयन गादेन फोडरंग ट्रस्ट द्वारा तिब्बती परंपराओं के अनुसार किया जाएगा. उन्होंने अपनी किताब 'वॉइस फॉर द वॉयसलेस' में लिखा, "पुनर्जन्म का उद्देश्य पूर्वाधिकार के कार्यों को आगे बढ़ाना है. ऐसे में नया दलाई लामा मुक्त संसार में जन्म ले सकता है, जिससे तिब्बती बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक गुरु के साथ तिब्बती लोगों की आकांक्षाओं को मूर्त रूप देने वाले पारंपरिक मिशन को आगे बढ़ाया जा सकता है.