अमेरिका ने लॉन्च किया न्यूक्लियर मिसाइल तो चीन ने उतारा फुजियान...भारत समेत कई देशों की बढ़ी टेंशन
अमेरिका ने अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल मिनटमैन-III का परीक्षण किया, जो तीन परमाणु बम अलग-अलग लक्ष्य पर भेज सकता है. इसी दिन चीन ने अपना सबसे आधुनिक विमानवाहक युद्धपोत फुजियान नौसेना में शामिल किया. फुजियान इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट से लैस है और 50+ विमानों को लॉन्च कर सकता है.

नई दिल्ली : 5 नवंबर को अमेरिकी वायु सेना ने अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल मिनटमैन-III का सफल परीक्षण किया, जिसे एक साथ तीन परमाणु बम अलग-अलग लक्ष्यों पर भेजने की क्षमता प्राप्त है. इसकी मारक दूरी लगभग 13,000 मील है, जिससे मॉस्को और बीजिंग सहित दुनिया के किसी भी प्रमुख क्षेत्र को निशाना बनाया जा सकता है. इस परीक्षण का उद्देश्य केवल शक्ति का प्रदर्शन नहीं बल्कि वैश्विक सुरक्षा संतुलन में अमेरिका की प्राथमिकता बनाए रखना भी है.
चीन का नया विमानवाहक युद्धपोत फुजियान
फुजियान की तकनीकी विशेषताएं
फुजियान पोत में सपाट उड़ान डेक और तीन कैटापल्ट हैं, जिससे विभिन्न प्रकार के विमानों को लॉन्च करना संभव है. चीन ने इसके जरिए पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान J-35A को एयरक्राफ्ट कैरियर से लॉन्च किया है, जो अमेरिकी फोर्ड श्रेणी के पोतों के मुकाबले अधिक उन्नत संचालन क्षमता प्रदान करता है. यह पोत अमेरिका के USS Gerald R. Ford की तरह एडवांस तकनीक से लैस है, लेकिन अमेरिका के पोतों में स्टील्थ F-35 लड़ाकू विमानों के लिए कुछ संशोधनों की आवश्यकता होगी. इससे चीन की नौसैनिक बढ़त और रणनीतिक स्थिति मजबूत होती जा रही है.
भारत के नौसैनिक सुरक्षा पर दबाव बढ़ा सकते...
फुजियान पोत के शामिल होने के बाद हिंद महासागर में क्षेत्रीय शक्ति संतुलन पर असर पड़ेगा. भारत के पास वर्तमान में दो एयरक्राफ्ट कैरियर हैं – INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य. INS विक्रांत अगले 30-40 वर्षों तक संचालन में रहेगा, जबकि INS विक्रमादित्य 2035 तक रिटायर होने वाला है. विशेषज्ञों का मानना है कि फुजियान जैसे आधुनिक और न्यूक्लियर पावर्ड पोत भारत के नौसैनिक सुरक्षा पर दबाव बढ़ा सकते हैं. इस स्थिति ने भारत में नौसैनिक तैयारी और रणनीति को और मजबूत करने की आवश्यकता पैदा कर दी है.
अमेरिका और चीन दोनों ने हाल ही में अपने परमाणु और नौसैनिक बलों को सशक्त किया है. अमेरिका का मिनटमैन-III परीक्षण और चीन का फुजियान पोत वैश्विक सुरक्षा, शक्ति संतुलन और क्षेत्रीय रणनीति के लिए निर्णायक साबित हो रहे हैं. भारत और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के लिए इन कदमों का असर भविष्य की सैन्य योजना और समुद्री सुरक्षा पर महत्वपूर्ण होगा.


