क्या अमेरिका बदल रहा है विदेश नीति? UN में रूस को दिया समर्थन, यूरोप में हलचल
अपनी पुरानी विदेश नीति से एक बड़ा बदलाव करते हुए, अमेरिका ने रूस और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के उस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया, जिसका समर्थन यूरोप के अधिकांश देशों ने किया था. इस प्रस्ताव में यूक्रेन से रूस की वापसी की मांग की गई थी और युद्ध की निंदा की गई थी. इस बीच, भारत ने मतदान से खुद को अलग रखा.

यूक्रेन-रूस युद्ध पर अमेरिका ने चौंकाने वाला फैसला लिया है. संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में सोमवार को हुए मतदान में अमेरिका ने रूस के पक्ष में मतदान कर सभी को हैरान कर दिया. अमेरिका ने यूरोपीय देशों द्वारा समर्थित उस प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया, जिसमें रूस से यूक्रेन से हटने की मांग की गई थी. यह पहली बार है जब युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका ने रूस के साथ खड़े होकर कोई मतदान किया है. इस बीच, भारत ने वोटिंग से दूरी बनाए रखी.
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पारित प्रस्ताव में रूस की आलोचना करते हुए यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और सीमाओं की पवित्रता को रेखांकित किया गया. अमेरिका का इस मुद्दे पर रुख बदलना वैश्विक राजनीति में बड़ा मोड़ माना जा रहा है.
अमेरिका ने किया रूस का समर्थन
संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुए इस ऐतिहासिक मतदान में 93 देशों ने प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया, जबकि 18 देशों ने इसके खिलाफ वोट दिया और 65 देशों ने मतदान से परहेज किया. अमेरिका ने रूस, उत्तर कोरिया, इज़राइल और अन्य 14 देशों के साथ मिलकर इस प्रस्ताव का विरोध किया, जो कि रूस के खिलाफ था और यूक्रेन से उसके कब्जे वाले क्षेत्रों को लौटाने की मांग करता था. प्रस्ताव में कहा गया था, "रूसी संघ द्वारा यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण तीन वर्षों से जारी है और इसका विनाशकारी और दीर्घकालिक प्रभाव न केवल यूक्रेन पर, बल्कि अन्य क्षेत्रों और वैश्विक स्थिरता पर भी पड़ रहा है."
भारत और अन्य देशों ने बनाई दूरी
भारत ने इस मतदान में तटस्थ रुख अपनाते हुए वोटिंग से दूरी बनाए रखी. भारत के अलावा अर्जेंटीना, संयुक्त अरब अमीरात, चीन और ईरान ने भी मतदान से परहेज किया.
अमेरिकी प्रस्ताव पर भी बंटी राय
अमेरिका ने अपने ही प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया जब फ्रांस के नेतृत्व में यूरोपीय देशों ने उसमें बदलाव कर यह स्पष्ट कर दिया कि रूस ही इस युद्ध का आक्रांता है. इस संशोधित अमेरिकी प्रस्ताव को भी 93 वोट मिले, जबकि 73 देशों ने मतदान से परहेज किया और आठ देशों ने इसके खिलाफ वोट किया.
रूस ने अमेरिकी प्रस्ताव में "युद्ध के मूल कारणों" को जोड़ने की कोशिश की, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली.
यूक्रेन के लिए घटा समर्थन?
इस मतदान में यूक्रेन के समर्थन में पहले की तुलना में कम देश नजर आए. पहले 140 से अधिक देशों ने रूस के आक्रमण की निंदा की थी, लेकिन इस बार यह संख्या 93 रह गई. यह बदलाव वैश्विक स्तर पर यूक्रेन को मिल रहे समर्थन में कमी का संकेत दे सकता है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका का प्रभाव
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में, जहां अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस के पास वीटो पावर है, वहां अमेरिका ने अपने मूल प्रस्ताव पर वोटिंग कराई. हालांकि, यूरोपीय देशों के संशोधन को रूस ने वीटो कर दिया, जिसके बाद अमेरिका का मूल प्रस्ताव पारित हुआ.
ट्रंप के बदले रुख से बढ़ी हलचल
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन युद्ध पर अपनी नीति में बदलाव कर रहे हैं. ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के बीच भी तनाव बढ़ रहा है, जिससे इस मुद्दे पर अमेरिका की स्थिति और पेचीदा हो सकती है.


