हमास पर जीत या टेक दिए घुटने? फार-राइट विंग का दबाव, ट्रंप से मिलने नेतन्याहू US रवाना
अमेरिका रवाना होने से पहले नेतन्याहू ने कहा कि वह ट्रंप से हमास, ईरान और अरब देशों के साथ साझेदारी पर चर्चा करेंगे. उन्होंने यह भी बताया कि वह दोनों देशों के बीच सुरक्षा को मजबूत करने और शांति के दायरे को बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे.

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका के लिए रवाना हो गए हैं, जहां वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे. यह मुलाकात 2025 के उनके दूसरे कार्यकाल के दौरान ट्रंप से होने वाली पहली मुलाकात है. नेतन्याहू की इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य 'हमास पर जीत', ईरान के खिलाफ रणनीति और इजरायल-अमेरिका संबंधों पर चर्चा करना है.
रवाना होने से पहले नेतन्याहू ने कहा कि वह ट्रंप से हमास, ईरान और अरब देशों के साथ साझेदारी पर चर्चा करेंगे. उन्होंने यह भी बताया कि वह दोनों देशों के बीच सुरक्षा को मजबूत करने और शांति के दायरे को बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे. ट्रंप और नेतन्याहू के बीच सीजफायर पर चर्चा भी हो सकती है, जो इजरायल और हमास के बीच 15 महीने तक चली जंग के बाद हुआ था.
बंधकों की रिहाई के बदले फिलिस्तीनी कैदी छोड़े गए
इस सीजफायर समझौते के तहत, इजरायल ने 18 बंधकों की रिहाई सुनिश्चित की है, और बदले में 100 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया गया है. हालांकि, नेतन्याहू पर सीजफायर के बाद भी विरोधी दलों की तरफ से आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने हमास के सामने घुटने टेक दिए हैं. नेतन्याहू का कहना है कि वह सीजफायर के बाद भी अपनी जीत का दावा करते हैं, लेकिन अगर इजरायल का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ, तो वह युद्ध को फिर से शुरू करने के लिए तैयार हैं.
ट्रंप ने निभाई मध्यस्थ की भूमिका
वहीं, ट्रंप ने मध्यस्थ की भूमिका निभाते हुए इजरायल-हमास के बीच शांति वार्ता को बढ़ावा दिया है और गाजा में जंग रुकवाने में मदद की है. हालांकि, उन्होंने गाजावासियों को दूसरे देशों में शिफ्ट करने का प्रस्ताव दिया था, जिसे हमास ने खारिज कर दिया.
नेतन्याहू पर फार-राइट विंग का दबाव
इस बीच, नेतन्याहू के खिलाफ उनके फार-राइट विंग सहयोगियों का दबाव बढ़ रहा है कि सीजफायर के खत्म होते ही युद्ध फिर से शुरू किया जाए. अब यह देखना होगा कि नेतन्याहू-ट्रंप की मुलाकात में मध्य-पूर्व में शांति और सुरक्षा को लेकर क्या महत्वपूर्ण फैसले होते हैं.


