बीजिंग में सियासी भूचाल! दो हफ्तों से गायब हैं शी जिनपिंग, क्या हो रहा है सत्ता परिवर्तन?

चीन की सत्ता के गलियारों से इन दिनों एक बड़ा राजनीतिक भूचाल उठता दिखाई दे रहा है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग बीते दो हफ्तों से सार्वजनिक रूप से कहीं नज़र नहीं आए हैं. न कोई तस्वीर, न कोई आधिकारिक कार्यक्रम ऐसे में अटकलों का बाजार गर्म है कि कहीं चीन की सत्ता में बड़ा बदलाव तो नहीं होने वाला.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

चीन की राजनीति में इन दिनों गहमागहमी चरम पर है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले दो हफ्तों से सार्वजनिक रूप से कहीं दिखाई नहीं दिए हैं. न ही उनकी कोई नई तस्वीर सामने आई है और न ही किसी सरकारी बैठक या कार्यक्रम में उनकी मौजूदगी की पुष्टि हुई है. ऐसे में अटकलें तेज़ हो गई हैं कि चीन की सख्त नियंत्रण वाली सत्ता प्रणाली में सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

इन कयासों को और हवा तब मिली जब पुष्टि हुई कि शी जिनपिंग इस बार ब्राज़ील में होने वाले BRICS शिखर सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेंगे अपने कार्यकाल में यह पहली बार होगा जब वह किसी बड़े वैश्विक मंच से अनुपस्थित रहेंगे. अब बड़ा सवाल उठ रहा है अगर वाकई शी का युग खत्म हो रहा है, तो अगला नेता कौन होगा?

कौन ले सकता है शी जिनपिंग की जगह?

शी जिनपिंग की रहस्यमयी गैरमौजूदगी के बीच पार्टी के अंदर कुछ शीर्ष नेताओं के नाम तेजी से उभरकर सामने आ रहे हैं. आइए जानते हैं कौन-कौन हैं वो संभावित दावेदार:

सेना का ताकतवर चेहरा

जनरल झांग वर्तमान में केंद्रीय सैन्य आयोग के प्रथम उपाध्यक्ष हैं, जो उन्हें शी जिनपिंग के बाद सबसे ऊंचा सैन्य अधिकारी बनाता है. पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ से जुड़े धड़ों का समर्थन प्राप्त होने के कारण माना जा रहा है कि वे धीरे-धीरे सत्ता में अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं. सेना में उनकी गहरी पैठ उन्हें मजबूत उत्तराधिकारी बनाती है.

प्रधानमंत्री और जिनपिंग के सबसे करीबी

2023 में प्रधानमंत्री बने ली क्यांग शी जिनपिंग के लंबे समय से भरोसेमंद सहयोगी हैं. शंघाई में सख्त कोविड लॉकडाउन के दौरान उनके नेतृत्व की सराहना हुई और G20 जैसे वैश्विक मंचों पर उनकी मौजूदगी से उनका कद लगातार बढ़ा है. बतौर प्रधानमंत्री, वे आर्थिक नीतियों की कमान संभालते हैं और वर्तमान में सत्ता के दूसरे सबसे मजबूत स्तंभ माने जाते हैं.

पर्दे के पीछे से संचालन करने वाला चेहरा

पूर्व में जिनपिंग के चीफ ऑफ स्टाफ रह चुके डिंग शुएशियांग बिना किसी प्रांतीय प्रशासनिक अनुभव के ऊंचे पदों पर पहुंचे हैं—जो चीन की राजनीति में दुर्लभ है. जिनपिंग से उनकी नजदीकी और नीतिगत तालमेल में उनकी भूमिका उन्हें एक संभावित उत्तराधिकारी बनाती है, खासकर यदि सत्ता का हस्तांतरण वफादारी के आधार पर होता है.

विचारधारा के रणनीतिकार

वांग हुनिंग इस समय चीनी पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं और पार्टी के तीन राष्ट्रपतियों के सलाहकार रह चुके हैं. वे प्रशासनिक अनुभव भले ही न रखते हों, लेकिन विचारधारा और रणनीति के स्तर पर उनकी पकड़ इतनी मजबूत है कि उन्हें "किंगमेकर" की भूमिका में देखा जाता है.

सुधारों का संस्थागत चेहरा

एंटी-करप्शन मुहिम के प्रमुख रह चुके झाओ लेजी इस समय नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. वे पोलितब्यूरो स्थायी समिति के वरिष्ठ सदस्य हैं और पार्टी अनुशासन व विधायी मामलों में उन्हें विशेषज्ञ माना जाता है. अगर पार्टी स्थायित्व चाहती है, तो वे एक संतुलित विकल्प बन सकते हैं.

पार्टी के सबसे वफादार चेहरों में से एक

ली होंगझोंग ने क्षेत्रीय प्रशासनों से होते हुए पार्टी में ऊंचा मुकाम हासिल किया है. वे भले ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कम चर्चित हों, लेकिन पार्टी ढांचे में उनकी मजबूत मौजूदगी और शी जिनपिंग के प्रति उनकी निष्ठा उन्हें एक 'डार्क हॉर्स' उम्मीदवार बनाती है.

भारत के लिए क्या मायने हैं इस बदलाव के?

अगर शी जिनपिंग की अनुपस्थिति वास्तव में सत्ता के बदलाव की ओर संकेत कर रही है, तो भारत के लिए यह कूटनीतिक और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकता है. विशेष रूप से जनरल झांग जैसे सैन्य अधिकारियों के उभार से सीमा पर तनाव या रणनीतिक भटकाव की संभावनाएं बढ़ सकती हैं. चीन यदि आंतरिक अस्थिरता से जूझ रहा है, तो ध्यान भटकाने के लिए बाहरी मोर्चों पर आक्रामक रुख अपना सकता है.

क्या वाकई खत्म हो रहा है 'शी युग'?

चीन जैसे सख्त सेंसरशिप वाले देश में जब इस तरह की अटकलें बाहर आने लगती हैं, तोइसका मतलब केवल अटकलें नहीं होता. शी जिनपिंग की सार्वजनिक अनुपस्थिति और उनके संभावित उत्तराधिकारियों की चर्चा इस ओर संकेत करती है कि पर्दे के पीछे कुछ बड़ा चल रहा है. आने वाले कुछ सप्ताह चीन के राजनीतिक इतिहास में निर्णायक साबित हो सकते हैं.

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05 July 2025, 02:59 PM IST

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