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क्या आपके हाथ-पैर में गांठ है?

शरीर में बनने वाली सभी गांठें घातक नहीं होती हैं। ज्यादातर गांठें नॉर्मल फैट का एक गोला सा बन जाती हैं यानि बिनाइन होती है। जिसमें न दर्द होता है, न किसी तरह की तकलीफ और ये फैलती भी नहीं हैं।

शरीर में बनने वाली सभी गांठें घातक नहीं होती हैं। ज्यादातर गांठें नॉर्मल फैट का एक गोला सा बन जाती हैं यानि बिनाइन होती है। जिसमें न दर्द होता है, न किसी तरह की तकलीफ और ये फैलती भी नहीं हैं। कई बार शरीर के किसी भी हिस्से में ऐसी गांठ बन जाती है, जिसमें दर्द नहीं होता है। आमतौर शरीर में त्वचा के नीचे बनने वाली गांठ में दर्द हो सकता है। ये ऐसी गांठ होती है, जिसे दबाने से दर्द नहीं होता, यह किसी रबर की तरह महसूस होती है और इसे आसानी से हिलाया जा सकता है।

मेडिकल टर्म में इस तरह की गांठ को लिपोमा कहा जाता है। इस तरह की गांठ अक्सर हाथ या पैर में बन जाती है। लिपोमा की गांठ त्वचा की नीचे बढ़ती है और इसे छूने पर दर्द नहीं होता है। इस तरह की गांठ किसी हेल्थ प्रॉब्लम की वजह से नहीं बनती लेकिन आपकी त्वचा की सुंदरता को ऐसी गांठें जरूर प्रभावित जरूर कर सकती है। अगर आपको भी लिपोमा जैसे लक्षण हैं यानी आपके हाथ-पैर या शरीर के अन्य हिस्सों में गांठें हैं जिसमें दर्द नहीं है तो आप घबराएं नहीं क्योंकि ये लिपोमा वाली गांठ हो सकती है। इससे किसी तरह की परेशानी हो रही है तो इसका इलाज संभव है। अब सवाल ये है कि हमारे शरीर में ऐसी गांठें बनती कैसे हैं। इसकी एक वजह है जेनेटिक। और कई बार मेटबॉलिक वजह से भी गांठ बन जाती है।

हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, ओबेसिटी, कम फिजिकल एक्टिविटी, ये सारी वजह गांठें बनने का कारण हो सकती हैं। लिपोमा शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। आपने कई लोगों के हाथ-पैर या शरीर के किसी हिस्से पर एक नरम या कोमल गांठ देखी होगी, जिसमें दर्द नहीं होता है। लिपोमा एक गोल या अंडाकार गांठ होता है जो त्वचा के ठीक नीचे बढ़ती है। ये फैट से बनी होती और इसे छूने पर आसानी से हिल सकती है। आमतौर पर इसमें दर्द नहीं होता है। लिपोमा ज्यादातर पीठ, धड़, हाथ, कंधे और गर्दन पर सबसे ज्यादा बनती है। वास्तव में यह सॉफ्ट टिश्यू ट्यूमर हैं। वे धीरे-धीरे बढ़ते हैं और कैंसर का कारण नहीं बनते। अधिकांश लिपोमा को उपचार की जरूरत नहीं होती है।

लिपोमा बहुत आम है। हर 1,000 लोगों में से लगभग 1 को लिपोमा होता है। लिपोमा अक्सर 40 और 60 की उम्र के बीच दिखाई देते हैं, लेकिन वे किसी भी उम्र में हो सकते हैं। वे जन्म के समय भी मौजूद हो सकते हैं। लिपोमा सभी लिंगों के लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन वे महिलाओं में थोड़ा अधिक आम हैं। बहुत से लोग जिन्हें लिपोमा होता है उन्हें कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है। राहत की बात ये है कि लिपोमा अपने आसपास के टिश्यूज में नहीं फैलता है। हालांकि कई मामलों में आपको दर्द और परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इनका आकार गोल या अंडाकार होता है। इस तरह की गांठ का साइज 2 इंच से छोटा होता है लेकिन कई बार इस तरह की गांठ 6 इंच से अधिक चौड़ी हो सकती है। लिपोमा का इलाज आप घर पर भी कर सकते हैं। इसके लिए हल्दी का इस्तेमाल किया जा सकता है। हल्दी में यौगिक करक्यूमिन है जो लिपोमा से निपटने में मदद करता है।

लिपोमा पर हल्दी का पेस्ट लगाया जा सकता है। इसके लिए सेज भी फायदेमंद है। इस जड़ी बूटी में ऐसे गुण होते हैं, जो फैट को कम करते हैं। सेज के अर्क को लिपोमा पर लगाने से लिपोमा को घुलने में मदद मिल सकती है। आप थूजा ऑक्सिडेंटलिस का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इस जड़ी बूटी का उपयोग त्वचा पर और उसके नीचे गांठ के लिए किया जाता है। इसे लिपोमा का होम्योपैथिक उपचार माना जा सकता है। आपको पानी में थूजा का अर्क मिलाना होगा और इसे लिपोमा पर लगाना होगा।

आपको पेस्ट को हर दिन लगभग 3 बार लगाने की जरूरत है। इसके साथ ही एलोवेरा, नीम, व्हीटग्रास भी लिपोमा के इलाज के लिए काफी कारगर हैं। खाने में पुराना चावल, मक्का, बाजरा, जौं, गेहूं दालें खासकर मूंग, मसूर और अरहर भी लिपोमा के लिए फायदेमंद हैं। सब्जियां में लौकी, करेला, सहजन, परवल, कद्दू, गाजर, फूलगोभी, ब्रोकली, शलजम और मूली का सेवन भी लिपोमा में आपकी मदद कर सकता है। लिपोमा की गांठें छोटी या बड़ी दोनों साइज की होती हैं। ये महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में दिखाई देती है। योगाभ्यास और आयुर्वेदिक उपचार से लिपोमा की गांठों को पिघलाया जा सकता है। कुछ आसन, प्राणायाम और व्यायाम से आप अपनी गांठों से मुक्ति पा सकते हैं।

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05 June 2022, 06:47 PM IST

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