आप भी हैं तनाव और थकान से परेशान, इस योगासन से होंगे कई फायदे
योनि मुद्रा एक प्राचीन योग तकनीक है जो मानसिक तनाव को दूर करने, हार्मोनल संतुलन, इम्युनिटी बढ़ाने और ध्यान केंद्रित करने में सहायक है. यह महिलाओं व पुरुषों दोनों के लिए लाभकारी है, खासकर थायरॉइड, पीसीओडी और मासिक धर्म की अनियमितता में राहत देती है और त्वचा को निखारती है.

आज की तेज़ भागती ज़िंदगी में मानसिक तनाव आम हो गया है. नींद की कमी, चिंता, हार्मोनल असंतुलन और थकावट शरीर पर बुरा असर डालते हैं. ऐसे में योग एक ऐसा साधन है जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है, बल्कि मानसिक रूप से भी शांति देता है. एक बार मेरी योग प्रशिक्षक ने मुझसे कहा, "अगर सच्चे संतुलन की तलाश है, तो योनि मुद्रा का अभ्यास शुरू कीजिए." मैंने जब इसे अपनी दिनचर्या में शामिल किया, तो इसके सकारात्मक असर जल्द ही नज़र आने लगे.
क्या है योनि मुद्रा?
योनि मुद्रा एक प्राचीन योग अभ्यास है जो विशेष रूप से मानसिक संतुलन, आंतरिक ऊर्जा और हार्मोनल संतुलन को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है. यह मुद्रा पुरुषों और महिलाओं, दोनों के लिए अत्यंत फायदेमंद है. 'योनि' का अर्थ होता है ‘उत्पत्ति’ या ‘जन्म स्थल’ — जो इस मुद्रा के पुनरुत्थान और आंतरिक चेतना को दर्शाता है.
योनि मुद्रा करने का तरीका
1. शांत और साफ जगह चुनें. पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं.
2. आंखें बंद करें और शरीर को ढीला छोड़ें.
3. दोनों हाथों की हथेलियों को पेट के पास लाएं.
4. अंगूठे और तर्जनी को आपस में मिलाएं.
5. बाकी उंगलियों को एक-दूसरे में गूंथ लें.
6. गहरी सांस लें और ध्यान को केंद्र में लाएं.
7. कम से कम 10-15 मिनट तक इसी अवस्था में बने रहें.
योनि मुद्रा के 8 प्रमुख लाभ
1. मानसिक शांति का अनुभव
यह मुद्रा मस्तिष्क को शांत करती है, जिससे तनाव और घबराहट में राहत मिलती है.
2. हार्मोनल संतुलन में मददगार
विशेष रूप से महिलाओं के लिए, यह पीरियड्स संबंधी परेशानियों और हार्मोनल उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करती है.
3. इम्युनिटी को करता है मजबूत
नियमित अभ्यास से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे बीमारियां दूर रहती हैं.
4. एकाग्रता और ध्यान में सुधार
यह मुद्रा मानसिक स्पष्टता लाती है और ध्यान की शक्ति को गहरा बनाती है.
5. थायरॉइड और पीसीओडी में सहायक
महिलाओं में थायरॉइड असंतुलन और पीसीओडी के लक्षणों को कम करने में मदद करती है.
6. मासिक धर्म की अनियमितता को सुधारती है
यह पीरियड्स के समय होने वाली असुविधा और अनियमितता में राहत देती है.
7. त्वचा में निखार लाती है
अभ्यास से त्वचा में चमक आती है और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है.
8. आंतरिक ऊर्जा को जागृत करती है
यह मुद्रा भीतर छिपी शक्ति को सक्रिय करती है, जिससे शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है.


