क्या डायबिटीज़ के मरीज कर सकते हैं फास्टिंग? एक्सपर्ट की चेतावनी पढ़ें
डायबिटीज़ मरीजों के लिए फास्टिंग के फायदे तो हो सकते हैं, लेकिन यह जोखिम भरा भी हो सकता है. उपवास के दौरान ब्लड शुगर तेजी से गिरने से हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है. इसलिए डॉक्टर की सलाह और निगरानी में ही फास्टिंग करना सुरक्षित माना जाता है.

डायबिटीज़ (मधुमेह) एक क्रॉनिक मेटाबोलिक डिज़ीज़ है जिसमें शरीर की ब्लड शुगर को नियंत्रित करने की क्षमता प्रभावित होती है. हाल के वर्षों में, व्रत या फास्टिंग (विशेषकर इंटरमिटेंट फास्टिंग) को वजन घटाने और मेटाबॉलिज्म सुधारने के उपाय के रूप में देखा जाने लगा है. लेकिन सवाल यह है कि क्या डायबिटीज़ मरीजों के लिए फास्टिंग सुरक्षित है? आइए एक्सपर्ट की राय जानते हैं.
फास्टिंग के संभावित फायदे
ब्लड शुगर में सुधार
वजन घटाने में मदद
कोलेस्ट्रॉल और लिपिड प्रोफाइल में सुधार
कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि फास्टिंग से एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) घटता है और एचडीएल (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) बढ़ता है, जो दिल की बीमारियों के खतरे को कम करता है.
फास्टिंग के खतरे
हाइपोग्लाइसीमिया (ब्लड शुगर बहुत कम हो जाना)
फास्टिंग के दौरान यदि डायबिटिक व्यक्ति इंसुलिन या अन्य ब्लड शुगर कम करने वाली दवाएं ले रहा है, तो ब्लड शुगर अचानक बहुत कम हो सकता है, जिससे चक्कर, बेहोशी या यहां तक कि कोमा भी आ सकता है.
डिहाइड्रेशन और कमजोरी
लंबे समय तक कुछ न खाने और पर्याप्त पानी न पीने से शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो सकती है.
ब्लड शुगर का असंतुलन
कुछ मामलों में फास्टिंग करने के बाद अचानक भोजन करने से ब्लड शुगर बहुत तेजी से बढ़ सकता है, जिससे स्थिति और भी बिगड़ सकती है.
एक्सपर्ट की सलाह
डायबिटीज़ मरीजों को फास्टिंग शुरू करने से पहले डॉक्टर या एंडोक्रिनोलॉजिस्ट से परामर्श लेना चाहिए. यदि फास्टिंग की योजना बनाई जा रही हो, तो ब्लड शुगर को नियमित रूप से मॉनिटर करें, और दवाओं की खुराक में संभावित बदलाव की योजना पहले से बनाएं.


