सिगरेट न पीने वालों में भी फेफड़ों के कैंसर के बढ़े केस, मेडिसन जनरल में प्रकाशित अध्ययन में खुलासा
यह लगभग विशेष रूप से एडेनोकार्सिनोमा के रूप में होता है तथा महिलाओं और एशियाई आबादी में अधिक आम है। 2022 में, दुनिया भर में महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर के अनुमानित 9,08,630 नए मामले सामने आए, जिनमें से 5,41,971 (59.7 प्रतिशत) एडेनोकार्सिनोमा थे। वर्ष 2019 तक विश्व में लगभग सभी लोग ऐसे क्षेत्रों में रह रहे थे जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं करते थे।

धूम्रपान से कैंसर हो सकता है। यह बात तो सभी ने सुनी होगी, लेकिन एक अध्ययन में दावा किया गया है कि फेफड़े के कैंसर के मामले उन लोगों में भी हो रहे हैं, जिन्होंने कभी सिगरेट नहीं पी। शोधकर्ताओं के अनुसार वायु प्रदूषण इसका एक कारण हो सकता है। यह अध्ययन द लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुआ था।
पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रमुख प्रकार बनता एडेनोकार्सिनोमा
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतर्राष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी (आईएआरसी) के शोधकर्ताओं ने राष्ट्रीय स्तर पर फेफड़ों के कैंसर की चार प्रकार एडेनोकार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, छोटे और बड़े सेल कार्सिनोमा का अंदाजा लगाने के लिए ग्लोबल कैंसर आबजर्वेटरी 2022 डाटाबेस सहित अन्य डाटा की विशलेषण किया। उन्होंने पाया कि एडेनोकार्सिनोमा पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रमुख प्रकार बन गया है।
कैंसर से संबंधित मृत्यु के लिए फेफड़ों का कैंसर अहम जिम्मेदार
शोधकर्ताओं ने कहा कि दुनिया भर के कई देशों में धूम्रपान की दर में कमी जारी है, तथा कभी धूम्रपान न करने वाले लोगों में फेफड़े के कैंसर के मामलों का अनुपात बढ़ गया है। आईएआरसी में कैंसर निगरानी शाखा के प्रमुख और प्रमुख लेखक फ्रेडी ब्रे ने कहा, "फेफड़ों के कैंसर की घटनाओं के जोखिम प्रोफाइल में बदलाव का एक मुख्य निर्धारक धूम्रपान पैटर्न और वायु प्रदूषण के संपर्क के उपप्रकारों में परिवर्तन है।" फेफड़े का कैंसर, कैंसर से संबंधित मौतों के लिए महत्वपूर्ण रूप से जिम्मेदार है। हालांकि, जिन लोगों ने कभी धूम्रपान नहीं किया है, उनमें फेफड़े का कैंसर विश्व भर में कैंसर से संबंधित मौतों का पांचवां प्रमुख कारण माना जाता है।


