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वजन कम करने के इंजेक्शनों का बढ़ता चलन, क्या इससे बॉडी शेप ठीक होता है या और बिगड़ती है मानसिक स्थिति?

Weight-loss injections: वजन घटाने के इंजेक्शन कोई जादुई समाधान नहीं हैं. ये कभी-कभी आत्म-छवि की समस्याओं को और बिगाड़ सकते हैं. इसके बजाय, अपनी सेहत को बेहतर बनाने के लिए वास्तविक और व्यावहारिक लक्ष्य बनाएं. अपनी शक्ल-सूरत की चिंता छोड़कर, स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और सकारात्मक बदलाव लाएं.

Goldi Rai
Edited By: Goldi Rai

Weight-loss injections: दुनियाभर के सेलिब्रिटी और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स जब भी अचानक वजन कम कर एक नया रूप सामने लाते हैं तो सबसे पहला सवाल यही होता है कि क्या उन्होंने वजन कम करने वाला इंजेक्शन लिया है? कई लोगों ने इसे अपनाने की बात स्वीकार भी की है जबकि कुछ ने चुप्पी साध रखी है.  अब जब भारत के ड्रग रेगुलेटर ने Ozempic (semaglutide) को टाइप-2 डायबिटीज के इलाज के लिए मंजूरी दी है तो इसके वजन घटाने के 'ऑफ-लेबल' इस्तेमाल की लोकप्रियता और भी तेजी से बढ़ने की संभावना है. लेकिन असली सवाल यह है कि क्या ये इंजेक्शन आपके शरीर को तो बदल सकते हैं लेकिन क्या वे आपके मन की संतुलन को भी मिटा सकते हैं?

बॉडी इमेज की असली जड़ें

एक्स्पर्ट बताते हैं कि लोग अक्सर वजन घटाने और बॉडी इमेज को एक ही चीज समझ बैठते हैं, लेकिन दोनों अलग-अलग हैं. वजन घटाना स्वास्थ्य या फिटनेस के लिए हो सकता है जबकि बॉडी इमेज इस बात पर निर्भर करती है कि कोई खुद को कैसे देखता है. क्योंकि शरीर का वजन आसानी से देखा और आंका जा सकता है इसलिए लोग सोचते हैं कि इसे घटाने से वे अपने बारे में बेहतर महसूस करेंगे. लेकिन बॉडी इमेज केवल शारीरिक रूप से नहीं मानसिक रूप से भी जुड़ी होती है.

लोग वजन घटाने के पीछे की असली वजह भूल जाते हैं क्या यह सेहत के लिए है या समाज की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए? अगर उद्देश्य सिर्फ फिट इन करना है तो आत्म-सम्मान कभी नहीं बनता. कई लोग लक्ष्य वजन तक पहुंचने के बाद भी खुद से असंतुष्ट रहते हैं क्योंकि बॉडी इमेज की समस्याएं मानसिक होती हैं. ये अनुभवों, विश्वासों और आत्ममूल्यांकन पर आधारित होती हैं.

 वजन घटाने वाले इंजेक्शन, समाधान या भ्रम?

वजन घटाने वाले इंजेक्शनों को आजकल 'क्विक फिक्स' के रूप में देखा जा रहा है. एक्स्पर्ट बताते हैं कि ये उपचार वजन घटाने में मदद कर सकते हैं लेकिन ये न तो आदर्श शरीर संरचना की गारंटी देते हैं और न ही आत्म-विश्वास की. लोग सोचते हैं कि ये इंजेक्शन उनकी आत्म-संदेह की भावना खत्म कर देंगे लेकिन ऐसा नहीं होता. इंजेक्शन से सिर्फ संख्या बदलती है, मानसिक स्थिति नहीं. अगर आप अंदर से खुद को नहीं स्वीकारते, तो कोई बाहरी परिवर्तन स्थायी खुशी नहीं दे सकता.

 सोशल मीडिया और ‘क्विक फिक्स’ कल्चर

आज का डिजिटल युग तत्काल परिणामों और अवास्तविक सौंदर्य मानकों से भरा पड़ा है. सोशल मीडिया पर हर दिन नई डाइट, डिटॉक्स टीज, फिल्टर्ड बॉडीज और ब्यूटी ट्रेंड्स देखना आम बात हो गई है.

एक्स्पर्ट क्या कहते हैं?

सोशल मीडिया पर दिखने वाले  शरीर की तुलना में लोग खुद को छोटा समझने लगते हैं. इस निरंतर तुलना से आत्म-संदेह और मानसिक तनाव पैदा होता है. जब लोग किसी दवा के असर को ही आत्म-मूल्य से जोड़ते हैं, तो लंबे समय तक नतीजे न मिलने पर वे डिप्रेशन, बॉडी डिस्मॉर्फिया और ईटिंग डिसऑर्डर जैसी मानसिक समस्याओं का शिकार हो सकते हैं.

 समाधान

बॉडी इमेज को सुधारने का रास्ता आत्म-स्वीकृति और खुद के प्रति करुणा से होकर जाता है. सिर्फ वजन कम करना काफी नहीं, अपने मन को भी स्वस्थ रखना बेहद जरूरी है. सकारात्मक सोच अपनाना अपनी ताकत पर ध्यान देना और खुद का ख्याल रखना. जब मन और शरीर दोनों स्वस्थ होंगे तभी आप अपने शरीर से संतुष्ट महसूस करेंगे.

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03 October 2025, 01:02 PM IST

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