World Asthma Day 2025: स्ट्रेस और एंग्जायटी से कैसे बढ़ता है अस्थमा का खतरा? जानें इसका इलाज
World Asthma Day 2025: आज विश्व अस्थमा दिवस है. अस्थमा न केवल पर्यावरणीय कारणों से बल्कि मानसिक तनाव और चिंता से भी प्रभावित हो सकता है, जो इसके लक्षणों को और गंभीर बना देता है.

World Asthma Day 2025: मई के पहले मंगलवार को हर साल विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है. इस बार यह दिन 6 मई को पड़ रहा है. अस्थमा एक पुरानी सांस से जुड़ी बीमारी है जो न केवल पर्यावरणीय कारणों से, बल्कि मानसिक कारणों से भी प्रभावित हो सकती है.
जब हम तनाव या चिंता महसूस करते हैं, तो इस स्थिति में शरीर तनाव हार्मोन जैसे एड्रेनालिन और कोर्टिसोल छोड़ता है, जिससे सांस तेज हो जाती है और मांसपेशियां तन जाती हैं. अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए यह स्थिति सांस लेना और भी कठिन बना देती है, जिससे गंभीर अस्थमा अटैक की संभावना बढ़ जाती है.
अस्थमा को कैसे बढ़ाता है मानसिक तनाव?
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मांसपेशियों में खिंचाव: तनाव की स्थिति में वायुमार्ग के आसपास की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं, जिससे फेफड़ों तक हवा का प्रवाह बाधित होता है.
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सूजन में वृद्धि: लंबे समय तक बना रहने वाला तनाव शरीर में सूजन को बढ़ा सकता है, जिसमें श्वसन नलिकाएं भी शामिल हैं. इससे अस्थमा के लक्षण और भी असहनीय हो सकते हैं.
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सांस लेने के पैटर्न में बदलाव: चिंता और तनाव के कारण तेज या उथली सांसें ली जाती हैं, जिससे हाइपरवेंटिलेशन की स्थिति बनती है. यह अस्थमा के लक्षणों को और अधिक बढ़ा सकती है.
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इम्यून सिस्टम पर असर: लगातार बना रहने वाला तनाव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर करता है, जिससे शरीर संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है जो अस्थमा का सामान्य ट्रिगर होता है.
इमोशनल ट्रिगर और पैनिक अटैक का असर
कई बार अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को अपनी ही स्थिति को लेकर चिंता और डर सताता है, खासकर जब उन्होंने पहले गंभीर अस्थमा अटैक का अनुभव किया हो. "सांस नहीं ले पाने का डर" स्वयं एक मानसिक तनाव बन जाता है, जो इस बीमारी को और बढ़ा देता है. इससे एक दुष्चक्र बनता है डर से तनाव, तनाव से अटैक, और फिर से डर.
कैसे पाएं इस पर कंट्रोल
तनाव और भावनात्मक उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करना अस्थमा के इलाज का अहम हिस्सा है. इसके लिए कुछ सरल उपाय अपनाए जा सकते हैं-
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डीप ब्रीदिंग: गहरी सांस लेने की तकनीकें फेफड़ों को आराम देती हैं.
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योग और हल्का व्यायाम: शारीरिक सक्रियता तनाव को घटाती है और श्वसन क्षमता बढ़ाती है.
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ध्यान और माइंडफुलनेस: मानसिक शांति पाने का बेहतरीन तरीका.
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परामर्श: यदि तनाव या चिंता ज्यादा हो तो किसी काउंसलर से बात करना फायदेमंद होता है.
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नियमित इलाज: डॉक्टर द्वारा सुझाए गए इनहेलर और दवाएं समय पर लेना जरूरी है.
तनाव और चिंता के कारण अस्थमा के लक्षण बिगड़ सकते हैं, लेकिन यदि हम इस संबंध को समझ लें और खुद पर नियंत्रण रखें, तो अस्थमा को काबू में रखा जा सकता है.
Disclaimer: ये आर्टिकल मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. JBT इसकी पुष्टि नहीं करता. अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर्स की राय जरूर लें.