जानिए कुंभ विवाह क्या हैं, क्यों करना है इसको जरूरी ?
शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि जब किसी कन्या के जन्म कुंडली में विधवा का योग बनता है, तो ऐसी स्थिति में उस कन्या का विवाह संस्कार करके उस कन्या का दोष दूर करने में मदद की जाती है ।
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शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि दुनिया में कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो जिनकी कुंडलियों में अनेक प्रकार के दोष पाएं जाते हैं। जिसके चलते लोग अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करते हैं साथ ही पूरे जीवनभर दुखी रहते हैं।इतना ही नहीं इनकी कुडंली में दोष होने के कारण उनके परिवार के सदस्यों को भी अनेक परेशानियों को झेलना पड़ता है। कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष होता है उसके जीवन में हमेशा कार्यों मे रूकावत आने लगती हैं।
साथ ही उनके विवाह में भी अनेक प्रकार की समस्याएं आती हैं जिसके कारण उनका विवाह नहीं हो पाता है। ज्योतिष के अनुसार जब किसी के जन्मकुंडली में 1,4,7,8,12वें स्थान पर मंगल अत्यंत शक्तिशाली होकर बैठा हो, तो ऐसे में जातक अत्यंत मजबूत मंगली कहलाता है। जिसका प्रभाव उसके विवाह पर भी पड़ता है। ऐसे में विवाह में मंगल के प्रभाव को सुनिश्चित करने के लिए ऐसे जातक का कुंभ विवाह कराया जाता है। आइए जानते हैं कुंभ विवाह किसे कहते हैं?
क्या है इसके पीछे का कारण?
शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि जब किसी कन्या के जन्म कुंडली में विधवा का योग बनता है, तो ऐसी स्थिति में उस कन्या का विवाह संस्कार करके उस कन्या का दोष दूर करने में मदद की जाती है ।माना जाता है कि यदि ऐसी किसी कन्या का कुम्भ विवाह का निवारण करे बिना किसी से विवाह कर दिया जाता है तो ऐसी कन्या विधवा हो जाती है इसी से बचने के लिए ज्योतिष के अनुसार कुम्भ विवाह करना बेहद जरुरी होता है ।
साथ ही तभी यह दोष दूर किया जा सकता है । यदि किसी कन्या के जन्मकुंडली में दो विवाह का योग बन रहा है तो उसका कुंभ विवाह किया जाता है । कहा जाता है भगवान विष्णु की प्रतिमा के साथ ऐसी कन्याओं का विवाह किया जाता है । जिसके कारण यह दोष उन कन्याओँ की जन्मकुंडली से चला जाता है और वह अपना सुखी जीवन व्यतित करती हैं ।


