आषाढ़ गुप्त नवरात्र: अगर मां की कृपा चाहिए, तो इन बातों का रखें खास ध्यान
आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्रि 26 जून से 4 जुलाई तक मनाए जाएंगे. इस दौरान माता शाकंभरी की विशेष पूजा होती है. इसे वार्षिक नवरात्रि भी कहा जाता है. इन नवरात्रों में देवी की दस महाविद्याओं—जैसे काली, तारा, बगलामुखी—की साधना का विशेष महत्व होता है.

26 जून से शुरू हो रही आषाढ़ गुप्त नवरात्रि इस बार विशेष संयोग लेकर आ रही है. इस पावन काल में ध्रुव योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का दुर्लभ मिलन हो रहा है, जो इसे साधना और पूजा के लिए अत्यंत शुभ बनाता है. यह योग 26 जून को आरंभ होकर 27 जून की सुबह 5:37 तक रहेगा.
अधिकतर लोग केवल चैत्र और शारदीय नवरात्रि को जानते हैं, लेकिन आषाढ़ और माघ मास में आने वाली गुप्त नवरात्रि भी अत्यधिक फलदायी मानी जाती है. खासतौर पर तांत्रिक साधकों के लिए यह समय बेहद उपयुक्त होता है, लेकिन आम गृहस्थ भी इस दौरान देवी साधना कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.
देवी के 10 महाविद्या रूपों की साधना
गुप्त नवरात्रि में देवी के दस महाविद्या स्वरूपों – काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला – की पूजा की जाती है. माना जाता है कि इन देवियों की साधना से असाध्य रोग, दरिद्रता, शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है और मनचाहा फल प्राप्त होता है.
किन कार्यों से बचना चाहिए?
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. यदि आप साधना या पूजा कर रहे हैं, तो इन गलतियों से बचना बेहद आवश्यक है:
- साफ-सफाई में लापरवाही न करें – घर और पूजा स्थान की स्वच्छता अनिवार्य है.
- मांस-मदिरा का सेवन न करें – ये चीजें मां को अप्रसन्न कर सकती हैं.
- तामसिक भोजन से बचें – जैसे प्याज, लहसुन आदि का त्याग करें.
- मां के रौद्र रूपों की पूजा न करें – गृहस्थ लोग केवल शांत और सात्विक रूपों की पूजा करें.
- तंत्र-मंत्र का प्रयोग न करें – तांत्रिक विधियां अनुभवी साधकों के लिए होती हैं, आमजन इससे दूर रहें.
- हवन और साधारण पूजा करें, लेकिन ज्वारे न बोएं – इस नवरात्रि में ज्वारे बोने की परंपरा नहीं है.
- वाद-विवाद से बचें – नवरात्रि के दिनों में शांति बनाए रखें.
- बाल कटवाने या शेविंग से परहेज करें – यह अशुभ माना जाता है.
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि एक विशेष साधना काल
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि एक विशेष साधना काल है, जिसमें मां के दस रूपों की आराधना करके व्यक्ति अपनी आध्यात्मिक उन्नति, धन-समृद्धि, और मनोकामना पूर्ति कर सकता है. यदि इन नौ दिनों में नियमों का पालन किया जाए और सात्विक जीवनशैली अपनाई जाए, तो मां की विशेष कृपा निश्चित रूप से प्राप्त होती है.


