score Card

अघोरी की तंत्र साधना या नागा साधु की तपस्या, रहन-सहन में कौन है ज्यादा कठोर?

प्रयागराज महाकुंभ 2025 में नागा साधु और अघोरी साधुओं की उपस्थिति प्रमुख आकर्षण है. अघोरी साधु श्मशान में तंत्र साधना करते हैं और मांसाहारी होते हैं, जबकि नागा साधु 12 साल की तपस्या के बाद ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए जीवनभर कठिन साधना करते हैं. दोनों के जीवन, साधना और खानपान में कई महत्वपूर्ण अंतर हैं.

प्रयागराज में शुरू हुआ महाकुंभ 2025, 13 जनवरी से लेकर 26 जनवरी तक चलेगा. जहां गंगा स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए हैं. इस महाआयोजन का मुख्य आकर्षण नागा साधु, अघोरी बाबा और अन्य साधु-संत बने हुए हैं. ऐसे में आइए, जानते हैं नागा साधु और अघोरी साधु के जीवन, साधना और खानपान से जुड़ी प्रमुख बातें. 

कौन होते हैं अघोरी साधु?

अघोरी साधु जो साधना करते हैं, जिसे ‘अघोर पंथ’ कहते हैं और श्मशान जैसी जगहों पर साधना करते हैं. ये साधु मृत्यु और जीवन के रहस्यों को समझने का प्रयास करते हैं. अघोरी साधु शिव के भैरव स्वरूप की पूजा करते हैं. इनके पास हमेशा एक नरमुंड रहता है, जो जीवन और मृत्यु के चक्र का प्रतीक है. काले वस्त्र धारण करते हैं और तंत्र साधना में लीन रहते हैं. खानपान की बात करें तो अघोरी मांसाहारी होते हैं और जानवरों का कच्चा मांस भी खा सकते हैं. 

कौन होते हैं नागा साधु?

नागा साधु धर्म प्रचारक और रक्षक की भूमिका निभाते हैं. 8वीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य ने नागा परंपरा शुरू की थी. ये 12 साल की कठिन तपस्या करते हैं और अनुशासनपूर्वक अखाड़े में जीवन व्यतीत करते हैं. ये साधु शरीर पर भस्म रगड़ते हैं और 17 प्रकार के श्रृंगार (तिलक, कुंडल, कड़े आदि) धारण करते हैं. खानपान की बात की जाए तो नागा साधु केवल सात घरों से भिक्षा मांगते हैं और दिन में एक ही बार भोजन करते हैं. यदि भोजन ना मिले तो वे भूखे रहकर तप करते हैं. 

अघोरी और नागा साधु के बीच क्या हैं मुख्य अंतर?

साधना का स्थान:-

अघोरी साधु श्मशान में साधना करते हैं
नागा साधु अखाड़ों में अनुशासनपूर्वक तपस्या करते हैं

जीवन शैली:-

अघोरी तंत्र साधना करते हैं और मांसाहारी होते हैं
नागा साधु कठिन ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं और मांस व मदिरा से दूर रहते हैं

ब्रह्मचर्य नियम:-

नागा साधु जीवनभर ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं
अघोरी साधुओं के लिए ब्रह्मचर्य का कोई कठोर नियम नहीं होता

नागा बनने की प्रक्रिया

नागा साधु बनने के लिए 12 साल की कठिन तपस्या करनी होती है. कुंभ मेले में इन्हें नागा साधु बनने की दीक्षा दी जाती है, जिसके बाद ये दिगंबर जीवन जीते हैं. 

calender
21 January 2025, 02:20 PM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag