इस मंदिर में खुद घूमता है शिवलिंग! भूत-प्रेत भी आते हैं सिद्धि पाने! छिपे हैं कई राज!
Bihar Mysterious Temple: भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है. यहां कई ऐसे मंदिर है जिसका रहस्य आज भी अनसुलझा है. इस बीच आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां भूतों का मेला लगता है. यह अपनी अनूठी मान्यताएं और चमत्कारी कहानियां के लिए प्रसिद्ध है. तो चलिए जानते हैं.

Bihar Mysterious Temple: भारत में कई मंदिर अपने चमत्कारों और मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन बिहार के भागलपुर जिले में स्थित मां बासरी देवी और परिहार देव मंदिर रहस्यमयी घटनाओं के लिए जाना जाता है. यहां हर साल दो बार भूतों का मेला लगता है, जहां लोग न केवल अपने कष्टों का समाधान खोजने आते हैं, बल्कि तंत्र-साधना करने वाले साधु भी यहां सिद्धियां प्राप्त करने आते हैं.
इस मंदिर की एक और अद्भुत विशेषता यह भी है कि यहां स्थापित शिवलिंग हर 12 साल में आधा घूम जाता है और फिर 12 साल बाद अपनी पूर्व स्थिति में लौट आता है. इस रहस्य को जानकर वैज्ञानिक भी हैरत में हैं.
भागलपुर में लगता है भूतों का अनोखा मेला
आपने महाशिवरात्रि, दुर्गा पूजा, काली पूजा जैसे मेलों के बारे में सुना होगा, लेकिन बिहार के इस मंदिर में एक अलग ही तरह का मेला लगता है. ग्रामीणों के अनुसार, यह मेला साल में दो बार आयोजित होता है और इसमें सिर्फ एक ही दिन के लिए विशेष आयोजन होता है. इस मेले में वे लोग आते हैं, जिन पर भूत-प्रेत या किसी नकारात्मक शक्ति का प्रभाव होता है, वहीं दूसरी ओर वे साधक भी पहुंचते हैं, जो सिद्धि प्राप्त करने के लिए साधना करते हैं.
बेंत के जंगल का अनोखा रहस्य
इस मंदिर के पास एक रहस्यमयी बेंत का जंगल भी है. ग्रामीणों का मानना है कि जिस व्यक्ति पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है, वह इस जंगल से बेंत नहीं काट सकता, लेकिन जो व्यक्ति सच्ची साधना करने आया होता है, वह इसे आसानी से काट लेता है. यह जंगल साधकों की परीक्षा लेने वाला स्थान माना जाता है, जहां आकर ही सिद्ध करने वालों की असली पहचान होती है.
12 साल में आधा घूम जाता है शिवलिंग
इस मंदिर की सबसे रहस्यमयी बात है यहां का शिवलिंग, जो हर 12 साल में खुद आधा घूम जाता है और फिर 12 साल बाद अपनी स्थिति में वापस आ जाता है. ग्रामीणों के अनुसार, यह बदलाव तब पता चलता है जब शिवलिंग पर किए गए श्रृंगार की दिशा बदल जाती है. यह माना जाता है कि मंदिर के ठीक सामने स्थित मां बासरी देवी की प्रतिमा को भगवान शिव कभी अपनी पीठ नहीं दिखाते, इसलिए शिवलिंग आधा ही घूमता है.
मंदिर की उत्पत्ति का नहीं है कोई प्रमाण
इस मंदिर का इतिहास सैंकड़ों साल पुराना बताया जाता है, लेकिन इसकी सटीक उत्पत्ति का कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है. स्थानीय लोग इसे 'परिहार देव' या 'परियों का मंदिर' भी कहते हैं. यहां विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं और विशेष रूप से इस मंदिर को चमत्कारी माना जाता है.
क्या है इस रहस्यमयी मंदिर का वैज्ञानिक रहस्य?
अब तक वैज्ञानिक इस मंदिर के रहस्यों को पूरी तरह उजागर नहीं कर पाए हैं. शिवलिंग का घूमना और भूतों के मेले की मान्यता अभी भी शोध का विषय बनी हुई है. हालांकि, तंत्र-मंत्र और साधना से जुड़ी मान्यताएं इस मंदिर को और भी रहस्यमयी बना देती हैं.
इस मंदिर से जुड़े रहस्यों पर शोध जारी
इस मंदिर की कहानियां धार्मिक आस्था और तंत्र-साधना से गहराई से जुड़ी हुई हैं. यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र भी है और जिज्ञासुओं के लिए शोध का विषय भी. क्या सच में यहां आत्माएं आती हैं, क्या शिवलिंग का घूमना किसी ऊर्जा का प्रभाव है, या यह सिर्फ धार्मिक मान्यता है? इन सवालों का जवाब आज भी अनसुलझा है.


