प्रेमानंद महाराज के आसपास रहने वाले युवा संत कौन? कोई इंजीनियर तो कोई CA, आर्मी की नौकरी छोड़ बन गए साधु
प्रेमानंद महराज के आस-पास रहने वाले साधु भी किसी से कम नहीं हैं. ये साधु पूर्व में उच्च पदों पर कार्यरत थे, जिनमें डॉक्टर, इंजीनियर, सीए और प्रोफेसर शामिल हैं. इन लोगों ने कभी शानदार करियर और उच्च वेतन वाली नौकरियों को त्याग कर साधु जीवन अपनाया है.

Premanand Maharaj Disciple : वृंदावन के प्रसिद्ध प्रेमानंद महाराज अपने आध्यात्मिक प्रवचनों और आशीर्वचनों के लिए पूरी दुनिया में विख्यात हैं. उनके दर्शन और उपदेश सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग दूर-दूर से आते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनके आस-पास रहने वाले साधु भी किसी से कम नहीं हैं? ये साधु पूर्व में उच्च पदों पर कार्यरत थे, जिनमें डॉक्टर, इंजीनियर, सीए और प्रोफेसर शामिल हैं. इन लोगों ने कभी शानदार करियर और उच्च वेतन वाली नौकरियों को त्याग कर साधु जीवन अपनाया है.
इन साधुओं में कई ऐसे हैं जो कभी उच्च पदों पर काम करते थे. कुछ कानूनी बैरिस्टर थे, कुछ डॉक्टर थे, तो कुछ बड़े कॉर्पोरेट दफ्तरों में काम करते थे. लेकिन अब ये सब छोड़कर प्रेमानंद महाराज के साथ राधा रानी की सेवा में व्यस्त हैं. वे अब अपने जीवन का उद्देश्य भक्ति और साधना में ढूंढते हैं.
नवल नागरी बाबा (पूर्व आर्मी अफसर)
पठानकोट के नवल नागरी बाबा एक सख्त आर्मी अफसर थे, जिन्होंने 2008 से 2017 तक भारतीय सेना में सेवा दी. कारगिल में पोस्टिंग के दौरान वे प्रेमानंद महाराज के प्रवचनों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने आर्मी की वर्दी छोड़ दी और साधु वेश धारण कर लिया.
श्याम सुखदानी बाबा (पूर्व इंजीनियर)
सोनीपत के श्याम सुखदानी बाबा एक कुशल इंजीनियर थे, जिन्होंने दिल्ली से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद बैंगलोर और गुड़गांव में बड़ी कंपनियों में काम किया. एक दिन उन्होंने प्रेमानंद महाराज के प्रवचन ऑनलाइन सुने और वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी शानदार करियर को छोड़कर वृंदावन में साधु जीवन अपनाया.
आनंद प्रसाद बाबा (पूर्व बिजनेसमैन)
दिल्ली के रहने वाले आनंद प्रसाद बाबा का खुद का एक बड़ा फुटवियर बिजनेस था. वे अक्सर वृंदावन जाते थे, लेकिन 2018 में प्रेमानंद महाराज के प्रवचन सुनकर उनका मन भक्ति की ओर बढ़ने लगा. उन्होंने अपना व्यापार छोड़ दिया और गुरु सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया.
महामाधुरी बाबा (पूर्व प्रोफेसर)
उत्तर प्रदेश के महामाधुरी बाबा का झुकाव बचपन से ही आध्यात्म की ओर था. हालांकि उन्होंने प्रोफेसर बनने का रास्ता चुना और कॉलेज में पढ़ाते हुए भगवान का नाम जपते रहे. प्रेमानंद महाराज के सत्संग ने उन्हें जीवन का असली उद्देश्य समझाया और उन्होंने अध्यापन कार्य छोड़कर गुरु सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया.
अलबेलीशरण बाबा (पूर्व सीए)
दिल्ली के प्रतिष्ठित परिवार में जन्मे अलबेलीशरण बाबा का परिवार सभी चार्टर्ड अकाउंटेंट्स से भरा था. वे भी इसी पेशे में सफल हुए, लेकिन प्रेमानंद महाराज के सत्संग ने उनके भीतर एक नई चेतना जागृत की. धन और करियर की दौड़ को छोड़कर उन्होंने साधु जीवन अपनाया और वृंदावन में राधा रानी की सेवा में रम गए.
इन साधुओं ने यह साबित किया कि भक्ति और साधना का मार्ग किसी भी सामाजिक या पेशेवर सफलता से बड़ा होता है. प्रेमानंद महाराज के प्रभाव में आकर इन लोगों ने अपनी पुरानी जिंदगी को छोड़कर आध्यात्मिक मार्ग अपनाया, जो जीवन का वास्तविक उद्देश्य समझने में मददगार साबित हुआ.


