सबसे पहले कब और किसने दी अजान? जानें इस्लाम में कैसे हुई इसकी शुरुआत, जानें पूरी कहानी
इस्लाम का सबसे पवित्र महीना रमजान शुरू हो गया है. इस महीने में मुसलमान रोजे रखने के साथ नमाज पढ़ते हैं. इस दौरान नमाज के लिए मस्जिदों से अजान दी जाती है. लेकिन क्या आपको पता है कि आजान की शुरूआत सबसे पहले किसने और कहां हुई? अगर नहीं तो चलिए जानते हैं.

इस्लाम का पवित्र महीना रमजान शुरू हो चुका है. इस महीने में रोज़ेदार इबादत और नमाज में मशगूल रहते हैं. मुसलमानों के लिए यह समय अल्लाह की इबादत, धार्मिक चिंतन, दान और अच्छे कामों का समय होता है. इस दौरान रोजा रखने वाले मुसलमान पांच वक्त की नमाज पढ़ते हैं. नमाज के लिए मस्जिदों से अजान भी दी जाती है, जो नमाजियों को बुलाने का एक खास तरीका है. लेकिन क्या आप जानते है कि, अजान की शुरुआत कब और कैसे हुई? दुनिया में सबसे पहली अजान किसने दी? अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
कैसे हुई अजान की शुरुआत ?
इस्लाम धर्म में नमाज को एक महत्वपूर्ण इबादत माना गया है. पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को जब अल्लाह से तोहफे में पांच वक्त की नमाज मिली, तब इस्लाम धर्म में इसे जरूरी कर दिया गया. हालांकि, उस दौरान नमाज के लिए लोगों को बुलाने का कोई निर्धारित तरीका नहीं था. ऐसे में लोग पहले एक-दूसरे को आवाज देकर बुलाते थे.
कैसे तय हुआ नमाज के लिए बुलाने का तरीका?
नमाज के लिए बुलाने की परंपरा शुरू होने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है. कहा जाता है कि जब पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मक्का से मदीना हिजरत कर गए, तब वहां इस्लाम का तेजी से विस्तार हुआ. नमाजी बढ़ने लगे और मस्जिदों में भीड़ बढ़ने लगी. तब कुछ लोगों ने यहूदियों की तरह बिगुल फूंकने की सलाह दी, तो कुछ ने ईसाइयों की तरह घंटा बजाने की राय रखी. किसी ने मोमबत्ती जलाकर संकेत देने का सुझाव दिया. लेकिन पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को इनमें से कोई भी तरीका पसंद नहीं आया.
सपने में मिला अजान का तरीका
एक दिन सहाबी अब्दुल्ला इब्ने जैद (र.अ.) पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आए और बताया कि उन्होंने एक खूबसूरत सपना देखा है. उनके सपने में एक शख्स ने उन्हें अजान के अल्फाज सिखाए और कहा कि इन्हीं शब्दों के जरिए लोगों को नमाज के लिए बुलाया करो. जब पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह सुना, तो उन्हें यह तरीका काफी पसंद आया. इसके बाद उन्होंने इसे अपनाने का फैसला किया. इसके बाद उन्होंने अब्दुल्ला इब्ने जैद (र.अ.) से कहा कि वे हजरत बिलाल (र.अ.) को यह अल्फाज सिखाएं.
सबसे पहले किसने दी अजान?
आपको बता दें कि इस्लाम में सबसे पहली अजान हजरत बिलाल (र.अ.) ने दी थी. जब नमाज का वक्त हुआ, तो हजरत बिलाल (र.अ.) मस्जिदे नबवी में खड़े हुए और अपनी बुलंद आवाज में पहली अजान दी. उनकी आवाज पूरे मदीना में गूंज उठी और लोग मस्जिद की ओर तेजी से आने लगे. इसके बाद ही आजन देने की परंपरा शुरू हो गई.
आज भी गूंजती है अजान की सदा
तब से लेकर आज तक पूरी दुनिया में हर दिन खासकर जूमे और रोजा के दौरान मस्जिदों से अजान की आवाज गूंजती आ रही है. यह इस्लाम धर्म के सबसे अहम धार्मिक कृत्यों में से एक है जो मुसलमानों के लिए पांच वक्त की नमाज का एक महत्वपूर्ण संकेत है.


