वह रील बनाती है, गाना गाती है...जेमिमा रोड्रिग्स ने ट्रोल्स को बल्ले से दिया मुंहतोड़ जवाब, फाइनल में खेली यादगार पारी
जेमिमा रोड्रिग्स ने आलोचनाओं और असफलताओं के बावजूद नाबाद 127 रन बनाकर भारत को महिला विश्व कप 2025 के फाइनल में पहुंचाया. कभी रील्स क्वीन कहकर ट्रोल की गई जेमिमा ने अपने बल्ले से मुंहतोड़ दिया जवाब, जेमिमा ने विश्वास और दृढ़ता की मिसाल बनकर हर लड़की को सपने देखने की प्रेरणा दी.

मुंबईः रन बनाना, वो क्या होता है? मेरा क्रिंग रील देख और गाना सुन. कभी ट्रोल्स द्वारा कही गई यह तंज भरी लाइन अब जेमिमा रोड्रिग्स की जीत का प्रतीक बन चुकी है. वही लोग जो उन्हें सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने के लिए आलोचना करते थे, अब उसी आत्मविश्वास और जुनून को उनकी सफलता की पहचान मान रहे हैं.
ट्रोल्स से ट्रायंफ तक का सफर
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सबसे खुशमिजाज और ऊर्जावान खिलाड़ियों में से एक जेमिमा रोड्रिग्स हमेशा से अपने चुलबुले अंदाज, गिटार और म्यूजिक के कारण सुर्खियों में रही हैं. लेकिन जब उनका बल्ला खामोश रहा, तो आलोचकों ने उन्हें सोशल मीडिया क्रिकेटर कहकर निशाना बनाया. कहा गया कि उन्हें क्रिकेट से ज्यादा रील्स की परवाह है.
लेकिन 30 अक्टूबर की रात नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में जेमिमा ने अपने बल्ले से सबको जवाब दे दिया. उन्होंने नाबाद 127 रन की ऐतिहासिक पारी खेलकर भारत को महिला विश्व कप 2025 के फाइनल में पहुंचा दिया. यह वही मुकाबला था जिसमें भारत ने 339 रनों के विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए सात बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को हराया.
हर शॉट में जवाब, हर रन में विश्वास
शुरुआत कठिन थी. भारत का स्कोर महज 13 रन पर एक विकेट. लेकिन जेमिमा ने स्मृति मंधाना के साथ साझेदारी कर पारी को संभाला. इसके बाद कप्तान हरमनप्रीत कौर के साथ 167 रनों की साझेदारी ने भारत को मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया. जेमिमा की हर चौके और सिंगल में उनकी दृढ़ता झलक रही थी. यह सिर्फ रन नहीं थे, बल्कि ट्रोल्स, असफलताओं और आत्म-संदेह पर जीत थी.
उन्होंने दिखा दिया कि एक क्रिकेटर होना और स्वयं होना विरोधाभासी नहीं है. वह रील भी बना सकती हैं, गाना भी गा सकती हैं और साथ ही विश्व कप में शतक भी ठोक सकती हैं.
संघर्ष की राख से बनी जेमिमा 2.0
साल 2022 में टीम से बाहर होना उनके करियर का सबसे मुश्किल दौर था. लगातार असफल पारियां, चिंता और आत्म-संदेह सबने उन्हें तोड़ने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. बाइबल की एक पंक्ति को याद रखते हुए, “स्थिर खड़े रहो और परमेश्वर तुम्हारे लिए लड़ेगा.” जेमिमा ने खुद पर और अपने विश्वास पर भरोसा बनाए रखा.
इस विश्व कप में उन्होंने हर आलोचक को गलत साबित किया. पहले न्यूज़ीलैंड के खिलाफ अर्धशतक और फिर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद 127 यह साबित करने के लिए काफी था कि उनका वक्त अब आ चुका है.
खुशी के आंसू और आत्मविश्वास की जीत
मैच खत्म होते ही जेमिमा की आंखों से खुशी के आंसू बह निकले. उन्होंने सबसे पहले अमनजोत कौर को गले लगाया और फिर अपने माता-पिता की बाहों में चली गईं. यह सिर्फ जीत नहीं थी. यह आत्म-संदेह पर विजय, विश्वास की वापसी और मेहनत के प्रतिफल का क्षण था.
2025 जेमिमा का साल
2025 में जेमिमा ने तीन शतक लगाए हैं. यह बताता है कि प्रतिभा को भले ही समय लगे, लेकिन वह कभी मिटती नहीं. उनके शतक में न कोई दिखावा था, न कोई शोर बस दृढ़ निश्चय.
अब भारत फाइनल में दक्षिण अफ्रीका से भिड़ने जा रहा है. जेमिमा जानती हैं कि उनका सफर अभी खत्म नहीं हुआ है. 2017 में लॉर्ड्स में टूटी उम्मीदें अब 2025 में पूरी हो सकती हैं. वह अब सिर्फ क्रिकेटर नहीं, बल्कि उम्मीद की मिसाल हैं. उस हर लड़की के लिए जिसे कभी कहा गया कि वो काफी नहीं है.


