"निर्धारित समय सीमा में राज्य का दर्जा बहाल न हुआ तो दूंगा इस्तीफा", CM उमर अब्दुल्ला का बड़ा बयान
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने चेतावनी दी है कि यदि केंद्र सरकार ने समय पर राज्य का दर्जा बहाल नहीं किया, तो वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे. यह बयान राज्य में राजनीतिक हलचल और केंद्र पर दबाव बढ़ाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है. अनुच्छेद 370 और 35A हटने के बाद राज्य के अधिकारों की बहाली लगातार मांग का हिस्सा रही है.

जम्मू-कश्मीर : जम्मू-कश्मीर की राजनीति में नया मोड़ उमर अब्दुल्ला के हालिया बयान के बाद आया है. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि केंद्र सरकार निर्धारित समय सीमा में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस नहीं देती, तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे. यह कदम राज्य की जनता को किए गए वादे की गंभीरता और नेताओं की जवाबदेही को दर्शाता है.
राज्य का दर्जा और अनुच्छेद 370 की पृष्ठभूमि
राजनीतिक और जनभावनाओं पर प्रभाव
मुख्यमंत्री के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के समर्थक इसे जनता के अधिकारों के लिए नेतृत्व की प्रतिबद्धता मान रहे हैं, जबकि विपक्ष इसे राजनीतिक दबाव और हताशा का परिणाम बता रहा है. यह बयान राज्य और केंद्र सरकार के बीच तनाव को बढ़ाने के साथ-साथ आगामी विधानसभा सत्र में बहस का मुख्य केंद्र भी बन सकता है.
भविष्य की रणनीति और संभावित परिणाम
विश्लेषकों का मानना है कि उमर अब्दुल्ला का कदम केंद्र पर दबाव बनाने की रणनीति है. आगामी महीनों में स्टेटहुड बहाली का मुद्दा और गरम हो सकता है. इस बयान से राजनीतिक समीकरण, सत्ता संतुलन और केंद्र-राज्य संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है.
जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने का मामला अब और संवेदनशील हो गया है. उमर अब्दुल्ला की यह पेशकश न केवल राजनीतिक चुनौती है, बल्कि जनता के अधिकारों और नेतृत्व की जवाबदेही को स्पष्ट करने वाली भी है. आगामी समय में इसका असर विधानसभा सत्र और राजनीतिक वातावरण पर दिखाई देगा.


