'सूत्र को हम मूत्र समझते हैं', तेजस्वी ने 'अवैध मतदाताओं' के दावे का उड़ाया मजाक, ECI पर भी कसा तंज
राजद नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग द्वारा बिहार में विदेशी नागरिकों के मतदाता सूची में शामिल होने के दावे को खारिज किया. उन्होंने इसे एनडीए की विफलता बताया और चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया. आयोग ने साफ किया कि 30 सितंबर को संशोधित सूची जारी होगी और सत्यापन अभियान 1 अगस्त से शुरू होगा.

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने उन खबरों का खंडन किया है, जिनमें कहा गया था कि बिहार में बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार के नागरिकों को मतदाता के रूप में पंजीकृत पाया गया है. चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के तहत यह दावा किया गया था.
सूत्र कौन हैं?
तेजस्वी यादव ने इन रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देते हुए 'सूत्रों' की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि ये सूत्र कौन हैं? हम सूत्रों को मूत्र समझते हैं. तेजस्वी ने आगे व्यंग्य करते हुए कहा, “ये वही सूत्र हैं जो कहते हैं कि इस्लामाबाद और लाहौर पर कब्जा हो चुका है.” उन्होंने इसे भाजपा की राजनीति का हिस्सा बताया और कहा कि एनडीए सरकार स्वयं ऐसे मामलों की ज़िम्मेदार है.
भाजपा पर लगाया गंभीर आरोप
तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर वाकई में अवैध नागरिक मतदाता सूची में शामिल हुए हैं, तो यह सीधे-सीधे एनडीए की विफलता है, क्योंकि बीते दो दशकों से केंद्र में वही सरकार रही है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि हर चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की है, तो क्या इसका मतलब यह है कि "वे सभी चुनाव अवैध मतों के आधार पर जीते गए?"
चुनाव आयोग पर उठाए सवाल
राजद नेता ने चुनाव आयोग पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह संवैधानिक संस्था अब एक राजनीतिक संगठन के एजेंडे पर काम कर रही है. उन्होंने SIR अभियान को जनता की आंखों में "धूल झोंकने वाला" कदम बताया.
चुनाव आयोग की सफाई
दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि वह मतदाता सूचियों की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए SIR अभियान चला रहा है, जिसके तहत घर-घर जाकर मतदाताओं के विवरण की जांच की जा रही है. आयोग के अनुसार, 30 सितंबर को संशोधित मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी, जिसमें अवैध प्रवासियों के नाम शामिल नहीं होंगे.
सत्यापन अभियान
चुनाव आयोग ने कहा है कि 1 अगस्त के बाद उन सभी संदिग्ध मतदाताओं की नागरिकता की स्थिति की पुनः जांच की जाएगी, जिन्हें बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) ने अवैध माना है. आयोग का यह भी कहना है कि यह कवायद बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई के व्यापक प्रयास का हिस्सा है.
विपक्ष की चिंता
विपक्षी दलों ने चेतावनी दी है कि इस तरह के सत्यापन से कई वैध भारतीय नागरिकों को मताधिकार से वंचित किया जा सकता है. उन्होंने आयोग से पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस प्रक्रिया को संवैधानिक करार देते हुए सुझाव दिया है कि आधार, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को वैध दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार किया जाए.
अन्य राज्यों में भी हो सकती है कार्रवाई
चुनाव आयोग इस मॉडल को अन्य राज्यों में भी लागू करने की योजना बना रहा है, जिनमें असम, तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल शामिल हैं, जहां अगले साल चुनाव प्रस्तावित हैं.


