उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के अंदर मचा घमासान, लिट्टी-चोखा भोज पर नहीं पहुंचे तीन विधायक
पटना में उपेंद्र कुशवाहा के आवास पर आयोजित लिट्टी-चोखा भोज से आरएलएम के तीनों विधायक दूर रहे. परिवारवाद और नेतृत्व को लेकर नाराजगी खुलकर सामने आई है. इससे पार्टी में अंदरूनी कलह और राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ गई है.

पटनाः राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के प्रमुख और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा के पटना स्थित सरकारी आवास पर बुधवार को लिट्टी-चोखा का भोज आयोजित किया गया. इस राजनीतिक भोज को पार्टी के भीतर एकजुटता का संदेश देने की कोशिश माना जा रहा था, लेकिन कार्यक्रम में पार्टी के तीनों विधायक शामिल नहीं हुए. विधायकों की गैरमौजूदगी ने साफ कर दिया कि पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.
तीनों विधायकों की अनुपस्थिति ने बढ़ाई चर्चा
भोज में जिन विधायकों ने शिरकत नहीं की, उनमें माधव आनंद, रामेश्वर महतो और आलोक सिंह शामिल हैं. ये वही तीन विधायक हैं जो हाल ही में पटना में बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन से मुलाकात कर चुके हैं. इस मुलाकात के बाद से ही राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हो गई थीं कि आरएलएम के भीतर असंतोष गहराता जा रहा है और विधायक नए राजनीतिक विकल्प तलाश रहे हैं.
विधायक दल के नेतृत्व को लेकर विवाद
दरअसल, पार्टी के भीतर नाराजगी की एक बड़ी वजह विधायक दल के नेता का मुद्दा भी रहा है. सूत्रों के अनुसार, उपेंद्र कुशवाहा विधायक दल का नेता अपनी पत्नी को बनाना चाहते थे. इस फैसले को लेकर विधायकों में असहजता और नाराजगी देखने को मिली. विधायकों की तीखी प्रतिक्रिया को देखते हुए आखिरकार माधव आनंद को विधायक दल का नेता घोषित किया गया, लेकिन इससे अंदरूनी कलह पूरी तरह खत्म नहीं हो सकी.
परिवारवाद के आरोप
राष्ट्रीय लोक मोर्चा में लंबे समय से परिवारवाद को लेकर सवाल उठते रहे हैं. कहा जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा के पुत्रमोह के चलते पार्टी के कई वरिष्ठ नेता खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. इससे पहले भी पार्टी की कई इकाइयों को भंग किया जा चुका है, जिससे जमीनी कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ा. पार्टी नेताओं का मानना है कि लगातार लिए जा रहे ऐसे फैसले संगठन को कमजोर कर रहे हैं.
रामेश्वर महतो की मंत्री पद की उम्मीद
पार्टी विधायक रामेश्वर महतो को लेकर भी असंतोष की खबरें सामने आती रही हैं. बताया जाता है कि वे लंबे समय से मंत्री पद की उम्मीद लगाए बैठे थे और उन्हें भरोसा था कि उपेंद्र कुशवाहा उनका नाम आगे बढ़ाएंगे. हालांकि, ऐसा नहीं हुआ. इसके उलट उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बना दिया गया. इससे पार्टी में यह धारणा और मजबूत हो गई कि नेतृत्व में पारिवारिक प्राथमिकता हावी है.
बेटे को मंत्री बनाने पर सवाल
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा भी आम है कि उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पत्नी को पहले विधायक का टिकट दिलाया और फिर बेटे को मंत्री बनाने में सफलता हासिल की. इन फैसलों ने पार्टी के भीतर असंतोष को और हवा दी. कई नेता और विधायक मानते हैं कि योग्यता और संगठन के प्रति समर्पण के बजाय रिश्तों को तरजीह दी जा रही है.
रामेश्वर महतो का फेसबुक पोस्ट बना सियासी संदेश
बीते दिनों रामेश्वर महतो की नाराजगी उस समय खुलकर सामने आई, जब उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावनात्मक लेकिन तीखा संदेश साझा किया. उन्होंने लिखा कि राजनीति में सफलता केवल भाषणों से नहीं, बल्कि सच्ची नीयत और दृढ़ नीति से मिलती है. जब नेतृत्व की नीयत और नीतियां जनहित से भटक जाती हैं, तो जनता को ज्यादा दिनों तक भ्रम में नहीं रखा जा सकता. उनका यह पोस्ट पार्टी नेतृत्व के लिए एक स्पष्ट संकेत माना जा रहा है.
भविष्य को लेकर बढ़ी राजनीतिक हलचल
तीनों विधायकों की अनुपस्थिति और हालिया घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया है कि राष्ट्रीय लोक मोर्चा के भीतर सब कुछ सामान्य नहीं है. आने वाले दिनों में पार्टी के अंदर होने वाले फैसले और विधायकों की राजनीतिक दिशा पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं.


