Video : दिल्ली में हुई क्लाउड सीडिंग, कुछ घंटों में इन इलाकों में होगी आर्टिफिशियल बारिश...यहां जानें हर सवाल का जवाब
दिल्ली में IIT कानपुर द्वारा क्लाउड सीडिंग का सफल ट्रायल किया गया, जिसका उद्देश्य प्रदूषण कम करना और कृत्रिम बारिश उत्पन्न करना है. इस प्रक्रिया से प्रदूषण नियंत्रित करने की उम्मीद है.

नई दिल्ली : दिल्ली में आज IIT कानपुर द्वारा क्लाउड सीडिंग का सफल ट्रायल किया गया, जिसमें पायरो तकनीक का उपयोग करते हुए 8 क्लाउड सीडिंग फ्लेयर्स छोड़े गए. इस प्रक्रिया के तहत, Cessna विमान ने मेरठ से उड़ान भरकर दिल्ली के विभिन्न इलाकों में क्लाउड सीडिंग का परीक्षण किया. इसके बाद, बाहरी दिल्ली में हल्की बूंदाबांदी के साथ बारिश होने की संभावना जताई गई है, हालांकि, यह बादलों में नमी की स्थिति पर निर्भर करेगा.
#WATCH | Delhi | "The second trial of cloud seeding was conducted in Delhi by IIT Kanpur through Cessna Aircraft. The aircraft entered Delhi from the direction of Meerut. Khekra, Burari, North Karol Bagh, Mayur Vihar were covered under this. 8 flares were used in cloud seeding.… pic.twitter.com/xMby0wBLJh
— ANI (@ANI) October 28, 2025
क्लाउड सीडिंग क्या है और कैसे काम करती है?
आपको बता दें कि क्लाउड सीडिंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य कृत्रिम बारिश उत्पन्न करना है. इसमें सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या पोटैशियम आयोडाइड जैसे रसायन बादलों में छोड़े जाते हैं, जो जलवाष्प को आकर्षित करते हैं और उसे भारी जलकणों में बदल देते हैं. ये जलकण अंततः वर्षा के रूप में धरती पर गिरते हैं. हालांकि, इस तकनीक का असर बादलों की स्थिति और मौसम पर निर्भर करता है.
आज दिल्ली में Cloud Seeding का दूसरा ट्रायल किया गया। इसके लिए Cessna एयरक्राफ्ट ने Kanpur से उड़ान भरी और खेकरा, बुराड़ी, नार्थ करोल बाग, मयूर विहार, सड़कपुर और भोजपुर से होते हुए मेरठ एयरपोर्ट पर लैंड किया। इस दौरान pyro techniques का उपयोग करते हुए 8 cloud seeding flares… pic.twitter.com/ntL1PbpGj9
— Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) October 28, 2025
प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाया गया कदम
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से इस क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया को अपनाया गया है. इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य न केवल प्रदूषण को कम करना है, बल्कि सूखे क्षेत्रों में वर्षा लाना और कृषि को लाभ पहुंचाना भी है. हाल ही में दिवाली के बाद वायु प्रदूषण में खतरनाक वृद्धि को देखते हुए इस प्रयास को विशेष महत्व दिया गया है.
ट्रायल की प्रक्रिया और परिणाम
क्लाउड सीडिंग का पहला ट्रायल 28 अक्टूबर को सफल रहा था, और तीसरा ट्रायल भी उसी दिन किया गया. मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि इस प्रक्रिया के बाद बारिश 15 मिनट से लेकर 4 घंटे के भीतर हो सकती है, जो बादलों की नमी पर निर्भर करेगा. इस ट्रायल को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग से मंजूरी प्राप्त होने के बाद ही किया गया.
कुल 5 ट्रायल होंगे, जिनकी लागत 3.21 करोड़ रुपये
दिल्ली सरकार ने 5 क्लाउड सीडिंग ट्रायल के लिए 3.21 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी, और इन ट्रायल्स के माध्यम से प्रदूषण पर नियंत्रण की योजना है. हालांकि, मौसम की खराबी के कारण इस प्रक्रिया में कई बार देरी हुई, लेकिन अब ट्रायल सफलतापूर्वक शुरू हो सके हैं. अगले कुछ दिनों में इस प्रक्रिया के और परीक्षण किए जाएंगे, ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके और शहर की वायु गुणवत्ता को बेहतर किया जा सके.
दिल्ली का AQI और मौसम
दिल्ली में मंगलवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 'बेहद खराब' श्रेणी में 305 तक पहुंच गया था. यह क्लाउड सीडिंग के प्रयासों के साथ इस प्रदूषण को कम करने का एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रदूषण नियंत्रण के लिए इस तकनीक का उपयोग एक संभावित समाधान हो सकता है, लेकिन इसके पर्यावरणीय प्रभावों पर और अध्ययन की आवश्यकता है.
क्लाउड सीडिंग, हालांकि एक नई तकनीक है, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों से जूझ रहे शहरों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है. दिल्ली में इसके सफल ट्रायल के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि यह तकनीक अन्य शहरों और क्षेत्रों में भी प्रदूषण नियंत्रण के उपाय के रूप में अपनाई जाएगी.


