दो राज्यों की वोटर लिस्ट में प्रशांत किशोर का नाम...EC ने भेजा नोटिस, तीन दिन में मांगा जवाब
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर का नाम दो राज्यों के वोटर लिस्ट में दर्ज है. इस बात को लेकर निर्वाचन आयोग ने उन्हें नोटिस भेजा है. इसके साथ ही किशोर को जवाब देने के लिए तीन दिन का समय दिया गया है.

बिहार : जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर को निर्वाचन आयोग से नोटिस प्राप्त हुआ है, क्योंकि उनके नाम दो अलग-अलग राज्यों की वोटर लिस्ट में पाए गए हैं. यह मामला तब सामने आया जब बिहार के सासाराम विधानसभा क्षेत्र के करगहर क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर ने यह जानकारी दी कि किशोर का नाम न केवल बिहार, बल्कि पश्चिम बंगाल की वोटर लिस्ट में भी दर्ज है. पश्चिम बंगाल के भवानीपुर क्षेत्र में उनका नाम संत हेलेन स्कूल के मतदान केंद्र पर था, जबकि बिहार में उनका वोटर आईडी नंबर 1013123718 था.
कानूनी उल्लंघन और निर्वाचन आयोग की कार्रवाई
दो वोटर कार्ड पर PK ने दिया जवाब
इस पर मीडिया द्वारा सवाल किए जाने पर प्रशांत किशोर ने अपनी सफाई दी. उन्होंने कहा कि उनका नाम पश्चिम बंगाल की वोटर लिस्ट में तब दर्ज हुआ था जब वे 2021 में बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए वहां गए थे. उन्होंने कहा, "अब मैं बिहार का वोटर हूं और पिछले तीन साल से यहीं का निवासी हूं. यह चुनाव आयोग की गलती है, इसमें हमारा कोई दोष नहीं है. हमारे पास करगहर का वोटर आईडी और ईपीआईसी नंबर है."
PK की राजनीतिक छवि पर प्रभाव
प्रशांत किशोर को दो राज्यों की वोटर लिस्ट में नाम होने पर नोटिस मिलने से उनकी राजनीतिक छवि पर असर पड़ सकता है. उनकी छवि एक निष्पक्ष और भरोसेमंद व्यक्ति की रही है, लेकिन अब यह मामला उनकी विश्वसनीयता को चुनौती दे सकता है. विपक्षी दल इसे उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, और चुनावी प्रचार में इसे मुद्दा बना सकते हैं. इस प्रकार, यह घटना प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी के लिए राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकती है.
विपक्ष को हमला करने का मौका
प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी पर इस मुद्दे के चलते विपक्षी दलों को हमला करने का एक अवसर मिल सकता है. वोटर लिस्ट में दो जगह नाम होना विपक्ष को यह कहने का मौका देता है कि किशोर ने चुनावी प्रक्रिया में गलत काम किया है या उनके नाम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जा सकते हैं. इस विवाद से उनके राजनीतिक अभियान पर असर पड़ सकता है, खासकर जब यह मामला मतदाता पहचान और निर्वाचन प्रक्रिया से जुड़ा है.
कुल मिलाकर, प्रशांत किशोर को निर्वाचन आयोग का नोटिस मिलने से न केवल उनका व्यक्तिगत और राजनीतिक करियर प्रभावित हो सकता है, बल्कि इससे उनकी पार्टी और राजनीतिक विश्वसनीयता पर भी दवाब बढ़ सकता है.


