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दिल्ली में पहली बार होगा क्लाउड सीडिंग ट्रायल, कृत्रिम बारिश से सुधरेगी हवा की गुणवत्ता

दिल्ली में पहली बार क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) का ट्रायल सितंबर 2025 में किया जाएगा. इसका उद्देश्य प्रदूषण को कम करना और हवा की गुणवत्ता सुधारना है. IIT कानपुर की निगरानी में यह प्रोजेक्ट चलेगा, जिसके लिए दिल्ली सरकार ने 3.21 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. DGCA से अनुमति मिलने के बाद विशेष विमान दिल्ली-एनसीआर के कुछ क्षेत्रों में उड़ान भरकर बारिश करवाएंगे. यह प्रयोग मानसून के बाद प्रदूषण की स्थिति सुधारने के लिए किया जाएगा.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

दिल्ली सरकार सितंबर के पहले दो हफ्तों में राजधानी में पहली बार क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम वर्षा) का परीक्षण करने जा रही है. यह एक वैज्ञानिक प्रयोग है जिसका उद्देश्य जहरीली हवा को साफ करना और प्रदूषण के स्तर को कम करना है. इसकी घोषणा शुक्रवार को पर्यावरण मंत्री मंजींदर सिंह सिरसा ने की.

मॉनसून लौटने के समय होगा ट्रायल 


यह परियोजना आईआईटी-कानपुर के नेतृत्व में की जा रही है. पहले इसका ट्रायल जुलाई की शुरुआत में प्रस्तावित था, लेकिन मौसम विज्ञान विभाग (IMD), आईआईटी-कानपुर और पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) की सलाह पर इसे टाल दिया गया.
अब यह ट्रायल मॉनसून की वापसी के समय किया जाएगा, जब बादलों का निर्माण क्लाउड सीडिंग के लिए अनुकूल होता है.

3.21 करोड़ रुपये खर्च करेगी दिल्ली सरकार

दिल्ली सरकार ने इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए ₹3.21 करोड़ की मंजूरी दी है. इस प्रयोग को आईआईटी-कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है.

DGCA से मिली पूरी मंजूरी

नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) से क्लाउड सीडिंग के लिए आवश्यक सभी मंजूरी मिल चुकी है. इस प्रयोग के लिए Cessna 206-H (VT-IIT) विमान का उपयोग किया जाएगा. इस विमान को विशेष क्लाउड सीडिंग उपकरणों से लैस किया गया है. पायलट दल के पास सभी जरूरी लाइसेंस और प्रमाणपत्र भी मौजूद हैं.

इन इलाकों पर होगा ट्रायल

यह विमान उत्तर दिल्ली के पांच प्रमुख प्रदूषित इलाकों में पांच उड़ानें भरेगा. इनमें रोहिणी, बवाना, अलीपुर और बुराड़ी शामिल हैं. इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र जैसे लोनी और बागपत में भी ट्रायल किया जाएगा.

कैसे काम करता है क्लाउड सीडिंग?

इस प्रक्रिया के तहत विमान बादलों के नीचे उड़ान भरते हुए सोडियम क्लोराइड (नमक) और अन्य सूक्ष्म कणों को बादलों में छोड़ता है. ये कण जलवाष्प को आकर्षित करते हैं, जिससे बारिश की संभावना बढ़ जाती है. सरकार का मानना है कि इससे हवा में मौजूद जहरीले कण बारिश के साथ नीचे गिर जाएंगे और वायु गुणवत्ता में सुधार होगा.

नहीं की जाएगी कोई फोटोग्राफी 

मंत्री सिरसा ने बताया कि ट्रायल के लिए सभी जरूरी अनुमतियाँ ले ली गई हैं. “IIT-कानपुर ने सभी यंत्रों की स्थापना पूरी कर ली है. विमान पूरी तरह तैयार है और उड़ान पथ को इस तरह निर्धारित किया गया है कि यह किसी भी प्रतिबंधित क्षेत्र से नहीं गुजरेगा. साथ ही, डीजीसीए की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी तरह की हवाई फोटोग्राफी नहीं की जाएगी.”

प्रदूषण से निपटने की नई कोशिश

क्लाउड सीडिंग को मौसम नियंत्रण की एक आधुनिक तकनीक माना जाता है. इसका उद्देश्य कृत्रिम रूप से वर्षा कराना होता है. दिल्ली में इसका उपयोग वायु प्रदूषण को कम करने के लिए किया जा रहा है, खासकर मॉनसून के बाद जब प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है. मंत्री सिरसा ने कहा, “यह प्रदूषण से निपटने के लिए एक वैज्ञानिक कदम है. यदि यह सफल रहता है, तो दिल्ली के लिए यह वायु गुणवत्ता को सुधारने का एक नया रास्ता साबित हो सकता है.”

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18 July 2025, 06:03 PM IST

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