जहरीली हवा, थकते फेफड़े...दिल्ली-NCR में 75% घरों में कोई न कोई बीमार, लोगों को खांसी, बुखार, गले में दर्द
दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण और मौसमी वायरस ने लोगों की सेहत बिगाड़ दी है. लोकलसर्कल्स के सर्वे के अनुसार, क्षेत्र के 75% घरों में कोई न कोई बीमार है. जहरीली हवा और वायरल संक्रमण के मेल ने लोगों को खांसी, बुखार, गले में दर्द और सांस की तकलीफ में जकड़ लिया है.

नई दिल्ली : दिल्ली-NCR में धुंध और प्रदूषण ने एक बार फिर लोगों का जीवन मुश्किल बना दिया है. स्थानीय समुदाय प्लेटफ़ॉर्म लोकलसर्कल्स के ताजा सर्वे के अनुसार, क्षेत्र के हर चार घरों में से तीन में कम से कम एक व्यक्ति बीमार है. जहरीली हवा और मौसमी वायरस के मेल ने राजधानी को गंभीर जनस्वास्थ्य संकट की ओर धकेल दिया है.
सर्वे के अनुसार 75 % घरों में कोई न कोई बीमार
फिर से जहर बन गई दिल्ली की हवा
त्योहारी मौसम खत्म होते ही दिल्ली की हवा फिर से ज़हर बन गई है. प्रदूषण का स्तर (AQI) 400 से 500 के बीच बना हुआ है, जो बेहद खतरनाक श्रेणी में आता है. पटाखों का धुआं, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना और स्थानीय उत्सर्जन मिलकर हवा को और जहरीला बना रहे हैं. पीएम 2.5 का स्तर 350 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय सीमा से लगभग दस गुना ज्यादा है.
तीन चार घरों के लोग सांस लेने में दिक्कत
सर्वे के अनुसार, तीन में से चार घरों के लोग सांस लेने में दिक्कत, खांसी, गले में जलन, आंखों में जलन, सिरदर्द और थकान जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि “दिल्ली के निवासी दोहरी मार झेल रहे हैं एक तरफ मौसमी वायरस, दूसरी तरफ जानलेवा प्रदूषण, जिससे रिकवरी धीमी हो रही है और श्वसन रोगों का खतरा बढ़ गया है.”
बीमार घरों की ‘मौन महामारी’
सर्वे में पाया गया कि 17% परिवारों में चार या उससे अधिक सदस्य बीमार हैं, 25% घरों में दो से तीन लोग बीमार हैं, जबकि 33% घरों में एक व्यक्ति बीमार है. केवल 25% परिवार ही पूरी तरह स्वस्थ हैं. यह आंकड़े बताते हैं कि मौसम में बदलाव, खराब वायु गुणवत्ता और वायरल संक्रमण ने मिलकर एक “मौन महामारी” पैदा कर दी है, जिसमें बीमारी और प्रदूषण के बीच फर्क करना भी मुश्किल हो गया है.
समाधान की सख्त जरूरत
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तुरंत कदम नहीं उठाए गए, तो यह संकट और गहराएगा. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकार को वाहन प्रदूषण, निर्माण की धूल और पराली जलाने जैसी जड़ों पर काम करना चाहिए. साथ ही जनता को मास्क पहनने, घरों में एयर प्यूरीफायर इस्तेमाल करने और भीड़भाड़ से बचने जैसी सावधानियों के प्रति जागरूक करना जरूरी है.
साफ हवा कोई विलासिता नहीं, अधिकार है
रिपोर्ट के अंत में कहा गया है कि अब वक्त आ गया है जब साफ हवा को “मौसमी सौगात” नहीं बल्कि हर नागरिक का बुनियादी अधिकार माना जाए. दिल्ली के लोग आज फिर वही सवाल पूछ रहे हैं “क्या सांस लेना हमारे शहर में सुरक्षित है?”


