'जाति नहीं, ज्ञान देखो...' इटावा में कथावाचक से दुर्व्यवहार पर बोले धीरेंद्र शास्त्री
उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचक के साथ हुई अभद्रता पर अब बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है. विदेश यात्रा से लौटने के बाद उन्होंने इस घटना को 'विचित्र और निंदनीय' बताया. उन्होंने कहा कि भगवान की कथा पर किसी एक जाति का अधिकार नहीं हो सकता और अगर कोई अपराध हुआ है, तो न्याय का रास्ता अपनाना ही उचित होगा.

उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचक के साथ अमर्यादित व्यवहार का मामला अब राष्ट्रीय बहस बन चुका है. जहां एक तरफ समाज में जातिवाद को लेकर गुस्सा दिख रहा है, वहीं दूसरी ओर बागेश्वर धाम सरकार के महंत पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. विदेश यात्रा से लौटते ही उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी किया और इस कृत्य की कड़ी निंदा की.
धीरेंद्र शास्त्री ने साफ तौर पर कहा कि भगवान की कथा कहना किसी जाति विशेष का अधिकार नहीं है. वेद, वाल्मीकि, सूरदास, कबीर जैसे संतों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भगवान के भजन और चर्चा पर किसी का एकाधिकार नहीं हो सकता. उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि कथावाचक से कोई अपराध हुआ है तो उसकी जांच का जिम्मा न्याय व्यवस्था का है, समाज को स्वयं फैसला सुनाने का हक नहीं है.
'इटावा की घटना दुखद'
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि हमारे विदेश रहते हुए भारत में कुछ कई घटनाएं हुई. इनमें से एक घटना बेहद विचित्र थी. यह थी इटावा में कथावाचक के साथ दुर्व्यवहार. उन्होंने कहा कि यह घटना उन्हें बेहद पीड़ित करने वाली लगी और इसे किसी भी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता.
'भगवान की कथा किसी जाति की बपौती नहीं'
बाबा बागेश्वर ने इस विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वेदव्यास, महर्षि वाल्मीकि, मीरा, सूरदास, कबीरदास, सभी भगवान के रंग में रंगे थे. इनकी न जाति पूछी गई और न पता पूछा गया. भगवान का नाम ही इनकी पहचान बना. उन्होंने आगे कहा कि किसी के भी पास भगवान का नाम जपने और कथा कहने का अधिकार है.
'अगर अपराध हुआ है तो न्यायपालिका देखे'
धीरेंद्र शास्त्री ने कानून व्यवस्था की अहमियत पर बल देते हुए कहा, 'जो भी घटना इटावा में हुई है, निश्चित रूप से निंदनीय है. अगर उसने कुछ अपराध किया भी है, तो हमको तुरंत कानून व्यवस्था और न्याय पालिका की शरण लेनी चाहिए. न कि खुद न्याय पालिका बनना चाहिए, ताकि विद्रोह उत्पन्न न हो, जातिवाद न बढ़े.' उन्होंने राजनीति पर भी हमला बोला और कहा कि जो राजनेता वर्तमान में जाति के आधार पर अपनी रोटियां सेंक रहे हैं, उनको मुंहतोड़ जवाब मिलना चाहिए.”
हिंदू राष्ट्र जातिवाद से नहीं
धीरेंद्र शास्त्री ने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की अपनी मुहिम का जिक्र करते हुए कहा, 'भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए जातिवाद से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद की ओर चलना पड़ेगा.' उन्होंने बताया कि इसी विचार को आगे बढ़ाने के लिए वे 7 से 16 नवंबर तक दिल्ली से वृंदावन तक पदयात्रा निकालने जा रहे हैं. इस यात्रा का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना और समाज को जातिवादी सोच से ऊपर उठाना है.


