दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण से घट रही लोगों की उम्र, WHO की गाइडलाइंस बन सकती हैं जीवनरक्षक...
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता वायु प्रदूषण खासकर पीएम 2.5 स्तर लोगों की जीवन प्रत्याशा को 8.2 साल तक घटा रहा है. शिकागो यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार, WHO के मानकों पर प्रदूषण कम करने से दिल्लीवासियों की आयु में सुधार हो सकता है. प्रदूषण से होने वाली बीमारियों को रोकने और जीवन गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सख्त कदम जरूरी हैं.

Delhi Air Pollution : दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति तक पहुंच चुका है. खासकर पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म कण लगातार लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं. हाल ही में शिकागो यूनिवर्सिटी के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (EPIC) द्वारा जारी एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (AQLI) के अनुसार, दिल्ली में रहने वाले लोग प्रदूषण के कारण औसतन 8.2 साल कम जी रहे हैं.
क्या है AQLI और इसका मकसद?
यदि WHO की गाइडलाइंस अपनाएं, तो बढ़ सकती है उम्र
रिपोर्ट कहती है कि अगर दिल्ली और NCR के जिले WHO की गाइडलाइंस के मुताबिक पीएम 2.5 स्तर को 44% तक घटा दें, तो दिल्लीवासियों की औसत उम्र 4.5 से लेकर 8.2 साल तक बढ़ सकती है.
जिलेवार अनुमान कुछ इस प्रकार हैं:
• गौतम बुद्ध नगर: 7.7 वर्ष
• ग़ाज़ियाबाद: 7.7 वर्ष
• गुरुग्राम: 7.1 वर्ष
• फरीदाबाद: 6.8 वर्ष
उत्तर भारत में गहराता जा रहा संकट
उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में करीब 54 करोड़ लोग रहते हैं, जो भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 39% है. इन क्षेत्रों में भी वायु गुणवत्ता में सुधार कर लोगों की उम्र औसतन 5 साल तक बढ़ाई जा सकती है.
विशेषज्ञों की चेतावनी
AQLI की निदेशक तनुश्री गांगुली ने बताया कि दिल्ली में पिछले पांच वर्षों में प्रदूषण तेजी से बढ़ा है और यदि जल्द सख्त कदम न उठाए गए, तो यहां के लोग अपनी उम्र के कई कीमती साल खो सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अगर दिल्ली को अपने नागरिकों की उम्र बचानी है, तो पार्टिकुलेट मैटर को 50% तक कम करना ही होगा.
क्यों अहम है यह रिपोर्ट?
यह रिपोर्ट सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं है. यह एक चेतावनी है कि यदि हम आज ठोस कदम नहीं उठाते, तो कल बहुत देर हो सकती है. स्वच्छ हवा कोई विलासिता नहीं, बल्कि एक बुनियादी अधिकार है.


