'फडणवीस और शिंदे के बीच बढ़ी सियासी तकरार! शिंदे गुट के नेताओं की सुरक्षा में कटौती, जानिए क्या हो रहा है अब?'
महाराष्ट्र की सियासत में एक और नया मोड़ आया है. देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ शिंदे के गुट के 20 से ज्यादा नेताओं की सुरक्षा घटा दी है, जिससे शिंदे गुट में हड़कंप मच गया है. इस कदम के बाद शिंदे गुट के नेताओं ने नाराजगी जताई है. क्या यह केवल एक कोल्ड वार है या सियासी घमासान अब और बढ़ेगा? जानिए पूरी खबर में!

Fadnavis vs Shinde: महाराष्ट्र की राजनीति में अब एक नया मोड़ आया है. देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के बीच बढ़ती दूरियां और तल्खी अब कोल्ड वार में बदल चुकी हैं. दोनों नेता एक-दूसरे से नाराज बताए जा रहे हैं, और अब इस राजनीतिक जंग का एक और राउंड सामने आया है. फडणवीस ने शिंदे गुट के 20 से ज्यादा नेताओं की सुरक्षा घटा दी है, जिसके बाद शिंदे कैंप में नाराजगी का माहौल है.
क्या है सुरक्षा में कटौती का मामला?
दरअसल, देवेंद्र फडणवीस के पास गृह विभाग है, और इस विभाग के आदेश के बाद शिंदे गुट के कई शिवसेना नेताओं की सुरक्षा में भारी कटौती की गई है. शिंदे गुट के करीब 20 नेताओं की Y+ श्रेणी की सुरक्षा घटाकर सिर्फ एक कांस्टेबल तक सीमित कर दी गई है. ये वही नेता हैं जो मंत्री नहीं हैं. इसके अलावा, कुछ अन्य नेताओं से दी गई सुरक्षा भी वापस ले ली गई है. शिंदे गुट के नेताओं को पहले Y कैटेगरी सुरक्षा मिली थी, जब वे उद्धव ठाकरे के गुट से अलग हो कर शिंदे के नेतृत्व में आए थे.
क्या शिंदे गुट के नेताओं की सुरक्षा कम की गई?
हालांकि, फडणवीस के गृह विभाग ने भा.ज.पा. और अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी के कुछ नेताओं की सुरक्षा भी कम की है, लेकिन शिंदे गुट के नेताओं की सुरक्षा में कटौती सबसे ज्यादा की गई है. यह कदम शिंदे कैंप को परेशान करने वाला साबित हो रहा है, क्योंकि शिंदे के मंत्रियों को छोड़कर अधिकांश शिवसेना विधायकों और सांसदों की सुरक्षा घटा दी गई है. यही वजह है कि शिंदे कैंप में खलबली मची हुई है और नेता इसे एक तगड़ा राजनीतिक संदेश मान रहे हैं.
कोल्ड वार अब बढ़ कर तकरार में बदल चुका है?
बता दें कि एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के बीच यह कोल्ड वार विधान सभा चुनावों के बाद से ही जारी है. हालांकि, शिंदे ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि, "कोई कोल्ड वार या हॉट वार नहीं है, हम सब मिलकर काम कर रहे हैं," लेकिन महाराष्ट्र के राजनीतिक संकेत कुछ और ही कहानी बयान कर रहे हैं.
क्या आगे बढ़ेगी यह तकरार?
राजनीति में ऐसे पल हमेशा आए हैं जब कुछ छिपी हुई खटपट या खामोशी अचानक खुलकर सामने आ जाती है. फिलहाल, शिंदे गुट के नेता नाराज हैं और उन्हें लगता है कि यह कदम उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने के लिए उठाया गया है. इस कटौती के बावजूद, फडणवीस और शिंदे का मिलकर काम करने का दावा इस सियासी तकरार के बीच एक नई तस्वीर बना रहा है.
बदलावों को नजरअंदाज नहीं करना चाहते!
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या फडणवीस और शिंदे के बीच यह कोल्ड वार और गहरी खाई की ओर बढ़ेगा, या फिर दोनों मिलकर महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरण तैयार करेंगे. यह खबर उन लोगों के लिए दिलचस्प है जो महाराष्ट्र की राजनीति में हो रही हलचल और बदलावों को नजरअंदाज नहीं करना चाहते!


