7 लाख ऐंठे, फर्जी केस में डाला जेल... ब्लैकमेलिंग से तंग आकर गोंडा के अभिषेक ने दे दी जान
यूपी के गोंडा में एक युवा इंजीनियर ने कथित ब्लैकमेलिंग और मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर अपनी जान दे दी. जाते-जाते पीड़ित ने दीवारों पर सबूत चिपका दी, जिससे बड़ा खुलासा हुआ है.

गोंडा: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना हुई है. एक युवा इंजीनियर ने कथित ब्लैकमेलिंग और मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर अपनी जान दे दी. मौत से पहले उसने अपने कमरे की दीवारों पर सबूत चिपका दिए, ताकि उसकी चुप्पी भी दुनिया को उसका सच बता सके.
दर्दनाक घटना का मंजर
17 दिसंबर की दोपहर को अभिषेक का कमरा काफी देर तक बंद रहा. बहन को शक हुआ तो पुलिस बुलाई गई. दरवाजा तोड़कर अंदर पहुंचे तो पंखे से लटका शव मिला. हाथ बंधे, मुंह में कपड़ा ठूंसा और पैर भी जकड़े हुए थे. लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात थी दीवारें उन पर सोनल सिंह की कई फोटो, व्हाट्सएप चैट के प्रिंटआउट और कुछ लिखे पन्ने चिपके थे.
अभिषेक की जिंदगी और परिवार
अभिषेक श्रीवास्तव गोंडा के गायत्रीपुरम इलाके में अपनी छोटी बहन के साथ रहता था. उसके माता-पिता, जो वकील थे, पहले ही गुजर चुके थे. पढ़ाई में अच्छा अभिषेक ने बीटेक और एमबीए किया था. वह एक पेंट कंपनी में नौकरी करता था. बाहर से उसकी जिंदगी सामान्य लगती थी, लेकिन अंदर से वह टूट रहा था.
पड़ोस से शुरू हुई अनोखी कहानी
अभिषेक के घर के सामने सोनल सिंह अपने पति अजीत सिंह के साथ रहती थी. सोनल के पति काम पर जाते और अभिषेक की बहन स्कूल. घर में अभिषेक अकेला रह जाता. अभिषेक ने घर के बाहर अपना मोबाइल नंबर लिख रखा था. इसी नंबर से सोनल ने बात शुरू की. पहले सामान्य बातें, फिर करीबियां बढ़ीं. अभिषेक को लगा कि यह सच्चा रिश्ता है. उसने सोनल को महंगे गिफ्ट भेजे और पैसे भी दिए. परिजनों का आरोप है कि यह सब हनीट्रैप था.
सोनल और उसके पति ने मिलकर अभिषेक से लाखों रुपये ऐठें. जब अभिषेक को सच पता चला तो उसने दूरी बनाई. इसके बाद सोनल और अजीत ने उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया. फर्जी मुकदमा दर्ज करवाया, जिसमें अभिषेक को जेल भी जाना पड़ा. जेल से छूटने के बाद फिर पैसे की मांग की गई. इस मानसिक दबाव से अभिषेक टूट गया.
पुलिस की कार्रवाई
परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने सोनल सिंह और अजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया है. मुकदमा दर्ज हो चुका है और जांच चल रही है. चचेरे भाई उद्भव श्रीवास्तव ने बताया कि अगर समय पर शिकायत सुनी जाती तो शायद यह दिन न देखना पड़ता.


