बिहार में महागठबंधन की करारी हार के बाद INDIA ब्लॉक की राजनीति में हलचल...कांग्रेस की नेतृत्व पर उठे सवाल
बिहार चुनावों में कांग्रेस की कमजोर जीत ने INDIA गठबंधन की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े किए हैं. टीएमसी ममता बनर्जी को नेतृत्व देने की मांग कर रही है, जबकि क्षेत्रीय दल अपनी अलग रणनीति बना रहे हैं.

बिहार : बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली भारी शिकस्त ने INDIA गठबंधन की भविष्य की रणनीति पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं. कांग्रेस ने जिन 61 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें उसे केवल 6 पर जीत मिलीसिर्फ़ 9.8% की स्ट्राइक रेट. इसी कमजोर प्रदर्शन ने विपक्षी गठबंधन के भीतर कांग्रेस की नेतृत्व क्षमता पर नई बहस छेड़ दी है.
ममता बनर्जी को नेतृत्व देने की मांग
क्षेत्रीय दलों की अलग रणनीति
पिछले कुछ महीनों से टीएमसी, आप, शिवसेना (यूबीटी) और सपा जैसे दल अपनी अलग रणनीति बना रहे हैं. ये दल अपने-अपने राज्यों के मुद्दों को प्राथमिकता देते हुए कांग्रेस की लाइन से इतर कदम उठा रहे हैं. इन चार पार्टियों के पास लोकसभा में 77 सांसद हैं इतना कि वे INDIA ब्लॉक के अंदर एक प्रभावी दबाव समूह बन सकें. इन्हीं प्रवृत्तियों का एक उदाहरण दिल्ली 2024 चुनाव रहा, जहां इन दलों ने कांग्रेस की तुलना में आप का खुलकर समर्थन किया.
आने वाले चुनाव और विपक्ष की चिंता
बिहार की हार ऐसे समय में आई है जब अगले वर्ष तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, असम, पुदुचेरी और केरल में चुनाव होने हैं. उसके बाद 2027 में गोवा, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और गुजरात जैसे अहम राज्यों में चुनाव होंगे. इस पृष्ठभूमि में विपक्षी दलों को एक प्रभावी संयुक्त रणनीति की जरूरत और भी बढ़ गई है.
CPIM की सलाह, आत्ममंथन आवश्यक
सीपीआईएम नेता एम.ए. बेबी का कहना है कि सभी दलों को अलग-अलग भी और सामूहिक रूप से भी चुनावी नतीजों की समीक्षा करनी चाहिए. उनके अनुसार ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’ जैसे अभियान से जनता जुड़ नहीं सकी. राहुल गांधी द्वारा चुनाव परिणामों को भाजपा की कथित धांधली से जोड़ने का प्रयास भी मतदाताओं को समझ में नहीं आया.
सीट बंटवारे में कांग्रेस का कमजोर होता प्रभाव
विश्लेषकों का कहना है कि बिहार के परिणाम से कांग्रेस की अन्य राज्यों विशेषकर यूपी और बंगाल में सीट-बंटवारे की बातचीत पर प्रभाव पड़ेगा. एक कांग्रेस नेता ने स्वीकार किया कि बिहार में 61 सीटें पाने के लिए पार्टी ने खूब जोर लगाया, परन्तु इतने कमजोर प्रदर्शन के बाद अन्य राज्यों में कांग्रेस की सौदेबाज़ी की ताकत घट जाएगी. विश्लेषकों के अनुसार बिहार में कांग्रेस की जमीनी पकड़ बेहद कमजोर है, जबकि यूपी में वह सपा के लिए कुछ हद तक उपयोगी साबित हो सकती है.
मुस्लिम वोटों में बदलाव के संकेत
बिहार में सीमांचल क्षेत्र की पाँच सीटों पर एआईएमआईएम की जीत ने विपक्ष के भीतर चिंता बढ़ा दी है. एक विपक्षी नेता के अनुसार यह संकेत है कि कुछ मुस्लिम मतदाता INDIA ब्लॉक से हटकर अन्य विकल्प तलाश रहे हैं, जो 2024 और आगे की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है.


