गर्भ नहीं, महिला के लिवर में पल रहा बच्चा, MRI में खुला राज... भारत में पहला, दुनिया में सिर्फ 40वां मामला
मेरठ के एक निजी अस्पताल में एक महिला के लिवर में भ्रूण पाए जाने का हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यह भारत का पहला और दुनिया का 40वां मामला है, जिसे "इंट्राहैप्टिक एक्टोपिक प्रेगनेंसी" कहा जाता है. 12 हफ्ते का भ्रूण लिवर के अंदर विकसित हो रहा था, जो बेहद खतरनाक स्थिति है. डॉक्टरों ने इमरजेंसी सर्जरी की योजना बनाई है. यह केस मेडिकल शोध के लिए बेहद अहम माना जा रहा है.

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से एक बेहद चौंकाने वाला और दुर्लभ मामला सामने आया है, जिसने चिकित्सा जगत को हैरानी में डाल दिया है. बुलंदशहर की एक महिला के लिवर के भीतर 12 हफ्ते का भ्रूण विकसित हो रहा था. यह कोई सामान्य प्रेगनेंसी नहीं थी, बल्कि एक अत्यंत जटिल और जीवन के लिए खतरनाक स्थिति थी, जिसे मेडिकल साइंस में "इंट्राहैप्टिक एक्टोपिक प्रेगनेंसी" कहा जाता है.
रिपोर्ट देखकर डॉक्टर भी हुए हैरान
महिला को पेट में तेज़ दर्द और बार-बार उल्टियों की शिकायत हो रही थी. जब स्थानीय डॉक्टरों की दवाइयों से कोई राहत नहीं मिली, तब मेरठ के एक निजी अस्पताल में MRI जांच कराई गई. रिपोर्ट देखकर डॉक्टर भी स्तब्ध रह गए, क्योंकि भ्रूण न गर्भाशय में था, न ही आमतौर पर देखे जाने वाले पेट या फैलोपियन ट्यूब्स में, बल्कि सीधे लिवर के अंदर पल रहा था.
दुनिया में सिर्फ 40वां मामला
आपको बता दें कि यह केस भारत का पहला और दुनिया का 40वां मामला है, जहां भ्रूण लिवर में नही, बल्कि लिवर के अंदर विकसितच हो रहा है. यह स्थिति मेडिकल के इतिहास में एक बड़ा और दुर्लभ माना जा रहा है.
सर्जरी बनी चुनौती, रिसर्च में बनेगा मिसाल
डॉक्टरों का कहना है कि लिवर से भ्रूण को अलग करना एक अत्यंत जटिल और जोखिमभरा ऑपरेशन होगा, क्योंकि लिवर से अत्यधिक रक्तस्राव का खतरा बना रहता है. महिला को इमरजेंसी सर्जरी की आवश्यकता है, और डॉक्टरों की एक विशेषज्ञ टीम इस दुर्लभ केस पर काम कर रही है. यह मामला मेडिकल एजुकेशन और शोध के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है.
क्या मेडिकल साइंस इस चुनौती से पार पाएगा?
इस दुर्लभ घटना ने चिकित्सा जगत के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है. जहां एक ओर यह मामला मेडिकल चमत्कार और शोध के लिए प्रेरणा बन सकता है, वहीं दूसरी ओर महिला की जान पर मंडराते खतरे ने चिंता भी बढ़ा दी है. अब देखना यह है कि मेडिकल विज्ञान इस जटिल स्थिति से किस तरह निपटता है, और क्या इस केस को संभालकर चिकित्सा क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की जा सकेगी.


