बिहार विधानसभा चुनाव में JDU को मिल सकती हैं ज्यादा सीटें, बीजेपी को उठाना पड़ेगा नुकसान, चिराग को फायदा
2024 लोकसभा चुनाव के आधार पर बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए का सीट बंटवारा तय हो सकता है. जेडीयू 102-103, भाजपा 101-102 और एलजेपी, हम पार्टी, आरएलएम के बीच 40 सीटें बांटी जाएंगी. भाजपा के आंतरिक सर्वेक्षण और रणनीतियों से उम्मीदवार चयन और मंत्रिमंडल पदों का निर्धारण होगा. चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने की संभावना है.

2024 के लोकसभा चुनावों के आधार पर बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट बंटवारे पर सहमति बन सकती है. बिहार में भाजपा, जनता दल (यूनाइटेड), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा प्रमुख घटक हैं. एनडीए के भीतर सीट वितरण की तैयारियां चल रही हैं और संभावित बंटवारा पिछले संसदीय चुनाव के पैटर्न के अनुरूप हो सकता है.
एनडीए के घटकों का चुनावी समीकरण
लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने 17, जनता दल (यूनाइटेड) ने 16, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने 5, जबकि हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने एक-एक सीट पर चुनाव लड़ा था. हालांकि भाजपा को थोड़ी बढ़त मिली थी, लेकिन इस बार जेडीयू के कुछ और सीटें मांगने की उम्मीद है. सूत्र बताते हैं कि विधानसभा चुनाव में जेडीयू लगभग 102-103 सीटों पर और भाजपा 101-102 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. शेष 40 सीटें लोक जनशक्ति पार्टी, हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के बीच विभाजित की जाएंगी.
सहयोगी दलों के हिस्से की संभावना
लोक जनशक्ति पार्टी को अपने संसदीय प्रतिनिधित्व के चलते बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा हिस्सा मिलने की संभावना है. सूत्रों के मुताबिक, एलजेपी 25 से 28 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा को 6-7 सीटें और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 4-5 सीटें मिल सकती हैं. यह बंटवारा पिछले लोकसभा चुनाव के आंकड़ों और पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षणों पर आधारित है.
भाजपा के आंतरिक सर्वेक्षण का रोल
बिहार के सभी विधानसभा क्षेत्रों में राजनीतिक माहौल को समझने के लिए भाजपा ने इस साल शुरुआत में आंतरिक सर्वेक्षण कराया था. इन सर्वेक्षणों के नतीजे न केवल सीट बंटवारे में मददगार साबित होंगे, बल्कि उम्मीदवारों के चयन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. भाजपा का उद्देश्य हर क्षेत्र से सबसे मजबूत प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारना है.
मंत्रिमंडल में पदों का आवंटन भी प्रभावित
सर्वेक्षण के परिणाम मंत्रिमंडल में पदों के आवंटन पर भी असर डाल सकते हैं, खासकर अगर एनडीए बिहार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करता है. यह चुनाव अक्टूबर-नवंबर के महीने में होने की संभावना है. भाजपा बिहार में अपनी जीत के लिए हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में मिले चुनावी अनुभवों से सीख लेकर बेहतर रणनीति बना रही है.
उम्मीदवारों की घोषणा पर विचार
भाजपा के रणनीतिकार चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा पर भी विचार कर रहे हैं. यह रणनीति पिछले कई राज्यों के चुनावों में पार्टी के लिए सफल साबित हुई है. भाजपा बिहार में भी इसी मॉडल को अपनाकर चुनावी लाभ हासिल करने की कोशिश कर रही है.


