नगर निगम चुनाव से पहले टूटा BJP-NCP गठबंधन, लातूर में बदले समीकरण
महाराष्ट्र के लातूर में नगर निगम चुनाव से पहले बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिला है. बीजेपी और एनसीपी के बीच बनने वाला महायुति गठबंधन आखिरी वक्त पर टूट गया, जिसके बाद बीजेपी ने सभी 70 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.

महाराष्ट्र की राजनीति से जुड़ी एक अहम खबर लातूर से सामने आई है. नगर निगम चुनाव से ठीक पहले महायुति को बड़ा झटका लगा है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के बीच बनने वाला गठबंधन टूट गया है, जिससे सियासी समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं.
नामांकन के आखिरी दिन इस घटनाक्रम ने सबको चौंका दिया. बीजेपी ने साफ कर दिया है कि अब वह किसी सहयोगी के सहारे नहीं, बल्कि अपने दम पर चुनावी मैदान में उतरेगी और लातूर नगर निगम की सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी.
नामांकन के अंतिम दिन टूटा गठबंधन
15 जनवरी को होने वाले लातूर नगर निगम चुनाव से पहले महायुति का सपना टूट गया. बीजेपी के लातूर चुनाव प्रभारी और विधायक संभाजीराव पाटिल निलंगेकर ने मंगलवार को ऐलान किया कि पार्टी अब एनसीपी के साथ गठबंधन में नहीं जाएगी. उन्होंने बताया कि बीजेपी नगर निगम की सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी.
गठबंधन के लिए हुई थीं कोशिशें
बीजेपी की ओर से एनसीपी के साथ तालमेल बनाने के प्रयास किए गए थे. जिले के वरिष्ठ एनसीपी नेताओं की भी गठबंधन के प्रति सहमति बताई जा रही थी. दोनों दलों के बीच बातचीत सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही थी और अंतिम समय तक उम्मीद बनी हुई थी कि महायुति आकार ले लेगी.
क्यों नहीं बन पाई बात?
संभाजीराव पाटिल निलंगेकर ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि जिला स्तर के सीनियर नेताओं के तैयार होने के बावजूद निचले स्तर के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के हस्तक्षेप के कारण गठबंधन संभव नहीं हो सका. उन्होंने कहा कि इसी जमीनी अड़चन की वजह से पूरी प्रक्रिया रुक गई और आखिरकार बीजेपी को अकेले चुनाव लड़ने का फैसला करना पड़ा.
बीजेपी की नई चुनावी रणनीति
नामांकन का आखिरी दिन होने के चलते बीजेपी ने अपनी रणनीति तुरंत स्पष्ट कर दी. पार्टी अब लातूर नगर निगम की सभी 70 सीटों पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगी. बीजेपी नेतृत्व का कहना है कि वह अब किसी अन्य दल पर निर्भर नहीं रहेगी और जनता के बीच अपने मुद्दों के साथ सीधे जाएगी.
लातूर की राजनीति में बढ़ेगी गर्मी
महायुति के टूटने से लातूर में चुनावी मुकाबला और रोचक हो गया है. बीजेपी के अकेले उतरने के फैसले से अन्य दलों की रणनीतियों पर भी असर पड़ सकता है. 15 जनवरी को होने वाले मतदान से पहले सियासी सरगर्मियां तेज होने की पूरी संभावना है.


