मोकामा में 'छोटे सरकार' अनंत सिंह और सूरजभान सिंह के बीच होगी टक्कर, क्या है वो रंजिश, जिसके बाद बन गए एक-दूसरे के दुश्मन
Mokama election battle: बिहार विधानसभा चुनाव में मोकामा सीट पर अनंत सिंह और वीणा देवी के बीच कड़ा मुकाबला संभावित है. बाहुबल, जनाधार और राजनीतिक रणनीति इस चुनाव को हाई-वोल्टेज बना रहे हैं. सूरजभान सिंह की राजद में एंट्री से समीकरण बदल सकते हैं, जिससे यह सीट बेहद अहम हो गई है.

Mokama election battle: जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं, राज्य की राजनीति में हलचल बढ़ गई है. सभी दल अपनी रणनीति के तहत मजबूत उम्मीदवार मैदान में उतारने की तैयारी में हैं. इस बीच, मोकामा विधानसभा सीट फिर से सुर्खियों में है. इस सीट पर संभावित मुकाबला अनंत सिंह उर्फ 'छोटे सरकार' और पूर्व सांसद वीणा देवी के बीच होने की चर्चा है, जिससे यहां की लड़ाई बेहद दिलचस्प हो गई है.
बाहुबल और प्रभाव की पहचान रही मोकामा
मोकामा सीट लंबे समय से बाहुबल और राजनीतिक प्रभुत्व की मिसाल रही है. 1990 के दशक से ही इस क्षेत्र में अनंत सिंह और उनके परिवार का वर्चस्व रहा है. अनंत सिंह, जिन्हें लोग 'छोटे सरकार' के नाम से जानते हैं, अपनी दबंग और लोकप्रिय छवि के लिए पहचाने जाते हैं. 2005 से 2020 तक वह लगातार इस सीट पर जीत दर्ज करते रहे हैं, जिससे मोकामा को उन्होंने अपना गढ़ बना लिया.
वीणा देवी की एंट्री से बदले समीकरण
सूत्रों के अनुसार, मोकामा सीट से इस बार पूर्व सांसद और लोजपा नेता वीणा देवी चुनाव मैदान में उतर सकती हैं. वीणा देवी मुंगेर से लोकसभा सांसद रह चुकी हैं और पूर्व बाहुबली नेता सूरजभान सिंह की पत्नी हैं. बताया जा रहा है कि वे राजद (RJD) के टिकट पर लड़ सकती हैं, जिससे मुकाबला और रोचक हो गया है. उल्लेखनीय है कि पिछला चुनाव अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी ने राजद के टिकट पर लड़ा था और जीत दर्ज की थी, लेकिन बाद में उन्होंने पार्टी से दूरी बना ली.
दो दशक पुरानी रंजिश
साल 2000 में सूरजभान सिंह ने जेल से चुनाव लड़ते हुए अनंत सिंह के बड़े भाई और तत्कालीन मंत्री दिलीप कुमार सिंह को बड़े अंतर से हराया था. इस हार के बाद अनंत सिंह ने राजनीतिक पकड़ मजबूत की और सीट पर कब्जा कर लिया. अब सूरजभान सिंह अपनी पत्नी को मैदान में उतारकर पुराने इतिहास को दोहराने की कोशिश में हैं.
सूरजभान परिवार का राजद में प्रवेश संभव
मीडिया रिपोर्टों की मानें तो सूरजभान सिंह, उनके भाई चंदन सिंह और कई समर्थक जल्द ही राजद का दामन थाम सकते हैं. यह कदम एनडीए खासकर RLJP (पारस गुट) के लिए बड़ा झटका होगा, वहीं राजद के लिए यह रणनीतिक बढ़त साबित हो सकती है.
चुनावी मुकाबले में तीन शक्तियों की टक्कर
अगर यह टक्कर सच होती है, तो मोकामा की लड़ाई केवल दो प्रत्याशियों के बीच नहीं, बल्कि बाहुबल, जनाधार और रणनीतिक गठबंधन की सीधी टक्कर होगी. अनंत सिंह जहां स्थानीय जनसमर्थन और प्रभाव के दम पर मजबूत माने जा रहे हैं, वहीं वीणा देवी को सूरजभान सिंह की राजनीतिक समझ और नेटवर्क का साथ मिलेगा. यह चुनाव मोकामा को एक बार फिर बिहार की सबसे हाई-वोल्टेज सीटों में शामिल कर सकता है.


