अब इस राज्य में शुरू हुआ कुंभ मेला, इन नदियों के संगम पर आते हैं लाखों श्रद्धालु, डिप्टी सीएम ने की लोगों से खास अपील
शिवकुमार ने कहा, "अगर आप इतिहास की किताबों को देखें तो पाएंगे कि गंगा, यमुना और सरस्वती को जो दिव्यता और पवित्रता दी गई है, वही हमारी कावेरी नदी को भी दी गई है. इसलिए मैं यहां के लोगों से अनुरोध करता हूं कि वहां (महाकुंभ) जाकर कुछ गलत होने देने की जरूरत नहीं है. वहां बहुत मुश्किल है, आप यहां आकर प्रार्थना कर सकते हैं. मेरा मानना है कि प्रयास से ज्यादा प्रार्थनाएं फल देती हैं

कर्नाटक के मैसूर जिले के टी नरसिपुरा में त्रिवेणी संगम पर ऐतिहासिक कुंभ मेला शुरू हो गया है. यहां कावेरी, कपिला और स्पतिका नदियां आकर मिलती हैं. यहां 13वीं बार कुंभ मेला लगा है. इसके उद्घाटन के साथ ही कर्नाटक में भव्य आध्यात्मिक उत्सव की शुरुआत हो गई है. इस पवित्र आयोजन को अक्सर दक्षिण भारत का प्रयागराज कुंभ कहा जाता है. इसमें राज्य भर से हजारों श्रद्धालु और संत शामिल होते हैं.
इस समागम में कई प्रमुख अनुष्ठान होते हैं. श्रद्धालु पवित्र स्नान, आध्यात्मिक प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं. ये कार्यक्रम अगले कुछ दिनों तक जारी रहेंगे, जिससे धार्मिक उत्साह बढ़ेगा.
यहां आकर कर सकते हैं प्रार्थना-डीके शिवकुमार
उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई, उन्होंने श्रद्धालुओं से प्रयागराज की यात्रा करने के बजाय कर्नाटक में कुंभ मेले में भाग लेने पर विचार करने का आग्रह किया.
शिवकुमार ने कहा, "अगर आप इतिहास की किताबों को देखें तो पाएंगे कि गंगा, यमुना और सरस्वती को जो दिव्यता और पवित्रता दी गई है, वही हमारी कावेरी नदी को भी दी गई है. इसलिए मैं यहां के लोगों से अनुरोध करता हूं कि वहां (महाकुंभ) जाकर कुछ गलत होने देने की जरूरत नहीं है. वहां बहुत मुश्किल है, आप यहां आकर प्रार्थना कर सकते हैं. मेरा मानना है कि प्रयास से ज्यादा प्रार्थनाएं फल देती हैं, इसलिए मैं लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे हमारे राज्य के कुंभ मेले की व्यवस्थाओं का लाभ उठाएं."
शिवकुमार के बयान के बाद राजनीतिक बहस शुरू
उनके इस बयान के बाद राजनीतिक बहस छिड़ गई है. विपक्ष के नेता आर अशोक ने शिवकुमार की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं डीके शिवकुमार की सलाह का स्वागत करता हूं. अशोक ने कहा कि मैं उन्हें सलाह देता हूं कि वे मल्लिकार्जुन खरगे, उनके बेटे और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को भी पवित्र स्नान करने की सलाह दें."
यह टिप्पणी शिवकुमार और अशोक के बीच प्रयागराज में कुंभ मेले में भाग लेने को लेकर राजनीतिक विवाद की पृष्ठभूमि में आई है. अशोक ने पहले शिवकुमार के धार्मिक आयोजन में भाग लेने के फैसले की आलोचना की थी और इसे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की गरीबी और गंगा के बारे में हाल ही में की गई टिप्पणियों से जोड़ा था. जवाब में शिवकुमार ने दृढ़ता से कहा कि कुंभ मेले में उनकी भागीदारी एक निजी मामला है और किसी को भी उनकी आस्था पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं है.
शिवकुमार ने अपने व्यक्तिगत कार्यों को चुनने के अधिकार का बचाव करते हुए कहा, "आर अशोक को प्रधानमंत्री की आलोचना करने दीजिए, मेरी नहीं. मैं जाऊं या न जाऊं, यह मेरी निजी आस्था और जीवन का मामला है. वह मुझसे सवाल क्यों कर रहे हैं? अगर प्रधानमंत्री या उनकी पार्टी के कोई नेता, जैसे कि गृह मंत्री, इस पर टिप्पणी करते हैं, तो मैं उनके प्रति जवाबदेह होऊंगा."
क्या कर्नाटक में गरीबी खत्म हो जाएगी?- अशोक
अशोक ने इससे पहले सोशल मीडिया पर शिवकुमार पर कटाक्ष करते हुए पूछा था, "जैसे ही शिवकुमार गंगा में डुबकी लगाएंगे, क्या उनके सारे पाप धुल जाएंगे? जैसे ही KPCC अध्यक्ष शिवकुमार कुंभ मेले में पवित्र स्नान करेंगे, क्या कर्नाटक में गरीबी खत्म हो जाएगी? क्या अब खरगे साहब इस पर सवाल नहीं उठाएंगे?" उनकी टिप्पणी में शिवकुमार की धार्मिक आयोजन में भागीदारी और खरगे द्वारा भाजपा नेताओं की ऐसे अवसरों का प्रचार के लिए उपयोग करने की पिछली आलोचना के बीच संबंध स्थापित करने की कोशिश की गई थी.
पानी का कोई रंग, स्वाद और आकार नहीं होता- शिवकुमार
हालांकि, शिवकुमार ने अशोक की टिप्पणियों को खारिज करते हुए कहा कि गंगा, कावेरी और कृष्णा जैसी नदियां किसी की नहीं हैं और उनकी कोई सीमा नहीं है. उन्होंने कहा, "पानी का कोई रंग, स्वाद या आकार नहीं होता और सभी को पानी की जरूरत होती है." उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि धार्मिक प्रथाओं का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. "यह हमारे धर्म और कर्म, हमारी प्रथाओं, परंपराओं और मान्यताओं का मामला है."
महाकुंभ की मेरी यात्रा निजी थी
शिवकुमार ने इस बात की पुष्टि की कि कुंभ मेले में उनकी यात्रा निजी थी, लेकिन उन्होंने सवाल उठाया कि अशोक ने वहां मौजूद अन्य राजनीतिक हस्तियों के बजाय उन्हें क्यों निशाना बनाया. उन्होंने कहा, "कुंभ में प्रधानमंत्री की भागीदारी पर अशोक को टिप्पणी करनी चाहिए, मुझे नहीं." उन्होंने दोहराया कि उनकी भक्ति एक निजी मामला है, जिस पर राजनीतिक जांच नहीं होनी चाहिए.


