बिहार में जहरीली शराब का कहर, सात परिवारों में मातम, जांच के आदेश
बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में जहरीली शराब पीने से सात लोगों की मौत हो गई है, जिससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है. यह घटना शराबबंदी की स्थिति में होने के बावजूद अवैध शराब के सेवन से हुई है, जिससे राज्य सरकार की शराब नीति पर सवाल उठने लगे हैं. स्थानीय प्रशासन ने घटना के बाद जांच के आदेश दिए हैं, जबकि मृतकों के परिवारों में गम का माहौल है.

बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से सात लोगों की मौत की खबर ने सनसनी मचा दी है. जिला प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं. हालांकि, मौतों की सही वजह का पता लगाना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि सभी शवों का अंतिम संस्कार पहले ही कर दिया गया है. शराबबंदी वाले इस राज्य में यह घटना अवैध शराब के बढ़ते खतरे और प्रशासन की चुनौतियों को फिर से उजागर कर रही है.
लौरिया थाना क्षेत्र में सभी मौतें
पश्चिमी चंपारण के पुलिस अधीक्षक (एसपी) शौर्य सुमन ने पुष्टि की कि सभी मौतें लौरिया थाना क्षेत्र में हुई हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि हाल की दो मौतों का कारण शराब नहीं है. सुमन ने बताया, "एक व्यक्ति की मौत ट्रैक्टर दुर्घटना में हुई, जबकि दूसरे को लकवा का दौरा पड़ा."
15 जनवरी को हुई पहली मौत
इस घटना में पहली मौत 15 जनवरी को हुई थी, लेकिन पुलिस को स्थिति की जानकारी रविवार को मिली. जब तक प्रशासन को इसकी सूचना दी गई, तब तक सातों शवों का अंतिम संस्कार हो चुका था. शवों की अनुपस्थिति के कारण जांच में काफी कठिनाई हो रही है.
पश्चिम चंपारण के उप विकास आयुक्त (डीडीसी) सुमित कुमार ने बताया कि एक जांच दल का गठन किया गया है, जिसे 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने और लौरिया में पिछले कुछ दिनों में हुई सभी मौतों की जानकारी जुटाने का निर्देश दिया गया है.
परिवार का आरोप: शराब से हुई मौत
पीड़ितों में से एक, प्रदीप के भाई ने दावा किया कि उसके भाई और उसके दोस्त मनीष ने एक साथ अवैध शराब का सेवन किया, जिसके बाद उनकी मौत हो गई.
शराबबंदी के बावजूद अवैध शराब का खतरा
2016 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में शराब की बिक्री और सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया था. इसके बावजूद, अवैध और जहरीली शराब का प्रचलन रुकने का नाम नहीं ले रहा. यह घटना राज्य में जहरीली शराब से मौत के मामलों की लंबी कड़ी में एक और दुखद अध्याय है.
शराबबंदी के बावजूद लगातार हो रही ऐसी घटनाएं राज्य में इस नीति की सफलता और अवैध शराब के कारोबार पर लगाम लगाने की प्रशासनिक क्षमता पर सवाल खड़े कर रही हैं.