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जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नीति को लेकर सियासी हलचल, छात्र प्रदर्शन से पहले कई नेता नजरबंद

जम्मू-कश्मीर में मौजूदा आरक्षण नीति को लेकर रविवार को छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया. हालांकि इस प्रदर्शन में शामिल होने से नेताओं को रोकने के लिए कई प्रमुख नेताओं को नजरबंद किया गया.

जम्मू-कश्मीर में मौजूदा आरक्षण नीति को लेकर छात्रों के प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई. रविवार को इस प्रदर्शन में शामिल होने से नेताओं को रोकने के लिए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी समेत कई प्रमुख नेताओं को नजरबंद किया गया. इस कार्रवाई के बाद राज्य की राजनीति में एक बार फिर अभिव्यक्ति की आजादी और लोकतांत्रिक अधिकारों को लेकर बहस छिड़ गई है।

अधिकारियों के अनुसार, जिन नेताओं को उनके घरों में ही रहने के निर्देश दिए गए हैं, उनमें महबूबा मुफ्ती के साथ उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती भी शामिल हैं. इसके अलावा श्रीनगर से लोकसभा सांसद आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी, पीडीपी नेता वहीद पारा और श्रीनगर के पूर्व महापौर जुनैद मट्टू को भी नजरबंद किया गया है. प्रशासन का कहना है कि यह कदम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया.

छात्रों के समर्थन में उतरने की तैयारी

दरअसल, इन नेताओं ने उन छात्रों के प्रति एकजुटता जताई थी, जो रविवार को श्रीनगर के गुपकर रोड पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की योजना बना रहे थे. छात्र मौजूदा आरक्षण नीति के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं और उनका कहना है कि यह नीति उनके भविष्य और अवसरों को प्रभावित कर रही है. नेताओं ने स्पष्ट किया था कि वे छात्रों के मार्च में शामिल होकर उनकी मांगों का समर्थन करेंगे.

समिति बनी, लेकिन समाधान नहीं

नेताओं का तर्क है कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा एक समिति बनाए जाने को एक साल पूरा हो चुका है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया. इसी कारण छात्र और राजनीतिक नेता दोनों ही सरकार से जवाब मांग रहे हैं. उनका कहना है कि अगर समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो असंतोष और बढ़ सकता है.

नजरबंदी पर नेताओं की प्रतिक्रिया

पीडीपी नेता वहीद पारा ने नजरबंदी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से छात्रों के साथ खड़े होने की इच्छा रखने वाले नेताओं को घरों में बंद करना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है. वहीं, सांसद आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी ने शनिवार रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर दावा किया कि उनके घर के बाहर भारी संख्या में सशस्त्र पुलिस बल तैनात किया गया है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह छात्रों के समर्थन में होने वाले शांतिपूर्ण प्रदर्शन को दबाने की पहले से तय कोशिश है.

सरकार पर लगाए आरोप

वहीद पारा ने उमर अब्दुल्ला सरकार पर आरक्षण के मुद्दे को गंभीरता से न लेने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि मौजूदा आरक्षण नीति अब सिर्फ एक नीतिगत बहस नहीं रह गई है, बल्कि कई छात्रों के लिए यह उनके अस्तित्व और भविष्य से जुड़ा सवाल बन चुकी है. पारा के मुताबिक, सरकार की चुप्पी और कार्रवाई की कमी ने छात्रों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया है.

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28 December 2025, 03:30 PM IST

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