तेलंगाना में चौंकाने वाला मामला: 40 वर्षीय व्यक्ति ने की 8वीं कक्षा की छात्रा से रचाई 'शादी'
पुलिस ने एक सनसनीखेज मामले में कार्रवाई करते हुए एक व्यक्ति, उसकी पत्नी, एक पुजारी और एक मध्यस्थ को हिरासत में लिया है. पुजारी पर आरोप है कि उसने अवैध गतिविधि वाले स्थान पर कार्य करवाया, जबकि मध्यस्थ ने कथित तौर पर इस 'विवाह' के आयोजन में अहम भूमिका निभाई.

Telangana Child Marriage: तेलंगाना से आई एक दिल दहला देने वाली खबर ने सभी को झकझोर कर रख दिया है. यहां एक 13 वर्षीय नाबालिग लड़की का विवाह जबरन एक 40 वर्षीय व्यक्ति से करवा दिया गया. जिसका लोग जमकर निंदा कर रहे हैं. बाल घटना की जानकारी तब सामने आई जब पीड़िता के स्कूल के एक सतर्क शिक्षक ने इस अवैध विवाह की सूचना पुलिस को दी. इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और इस शर्मनाक कृत्य से जुड़े सभी लोगों पर मामला दर्ज किया गया.
शिक्षक की सतर्कता से हुआ खुलासा
स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा की शादी की जानकारी सबसे पहले उसी स्कूल के एक शिक्षक को मिली. शिक्षक ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत पुलिस को सूचित किया, जिससे मामला उजागर हुआ.
आरोपियों के खिलाफ दर्ज हुआ मामला
पुलिस ने 40 वर्षीय व्यक्ति, उसकी पत्नी, विवाह संपन्न कराने वाले पुजारी और नंदीगामा (हैदराबाद से लगभग 55 किमी दूर) में विवाह आयोजन में मदद करने वाले एक मध्यस्थ के खिलाफ मामला दर्ज किया है. पुलिस को दी गई तस्वीरों में एक लड़की माला लिए एक व्यक्ति के सामने खड़ी नजर आ रही है, जिसके दोनों तरफ उसकी पत्नी और एक पुजारी भी मौजूद हैं, मानो कोई खास रस्म निभाई जा रही हो.
बाल विवाह
भारत में बाल विवाह एक गंभीर अपराध माना जाता है और इसके खिलाफ बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 जैसे सख्त कानून भी लागू हैं. फिर भी कुछ क्षेत्रों में यह सामाजिक बुराई अब भी जारी है. कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, बाल विवाह बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और भविष्य पर गहरा दुष्प्रभाव डालता है और उन्हें हिंसा, शोषण तथा दुर्व्यवहार के खतरे में डाल देता है.
असम बना बाल विवाह के खिलाफ उदाहरण
बाल विवाह को समाप्त करने की दिशा में असम राज्य ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की जुलाई 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2021-22 और 2023-24 के बीच असम के 20 जिलों में बाल विवाह के मामलों में 81% की गिरावट दर्ज की गई है. यह उदाहरण साबित करता है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और सामाजिक जागरूकता से इस कुरीति को जड़ से खत्म किया जा सकता है.


