Surajkund Mela 2025: आज से शुरू हुआ सूरजकुंड मेला, दुनियाभर के शिल्पकारों का अनोखा संगम, जानें इस बार क्या है खास?
Surajkund Mela 2025: हरियाणा के फरीदाबाद में 38वां सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला 2025 आज, 7 फरवरी से शुरू हो गया है. यह मेला दुनियाभर के शिल्पकारों, कलाकारों और सांस्कृतिक विरासत को एक मंच पर लाने के लिए प्रसिद्ध है. इस साल 42 देशों के 648 प्रतिभागी अपनी कला और शिल्पकला का प्रदर्शन करेंगे. आइए इसके बारे में डिटेल में जानते हैं.

Surajkund Mela 2025: हरियाणा के फरीदाबाद में आज, 7 फरवरी से विश्व प्रसिद्ध सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला का शुभारंभ हो गया है. यह मेला अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, पारंपरिक हस्तशिल्प और जीवंत लोक कलाओं के लिए जाना जाता है. इस बार 38वें संस्करण में पहले से अधिक भव्यता देखने को मिलेगी, जहां भारत समेत 42 देशों से 648 प्रतिभागी अपनी कला और शिल्पकला का प्रदर्शन करेंगे.
सूरजकुंड मेले को इस बार और भी खास बनाने के लिए ओडिशा और मध्य प्रदेश थीम राज्यों के रूप में चुने गए हैं. इसका अर्थ है कि मेले में इन राज्यों की लोकसंस्कृति, हस्तशिल्प, लोक नृत्य और पारंपरिक व्यंजन विशेष आकर्षण का केंद्र होंगे. यह भव्य आयोजन 7 फरवरी से 23 फरवरी 2025 तक चलेगा, जिसमें रोज़ाना हजारों पर्यटकों के आने की संभावना है.
टिकट और एंट्री डिटेल्स
मेले में प्रवेश के लिए टिकट डीएमआरसी मोमेंटम 2.0 ऐप, सभी मेट्रो स्टेशनों और मेला स्थल पर मौजूद टिकट काउंटरों से खरीदे जा सकते हैं. ऑफलाइन टिकट सभी मेट्रो स्टेशनों पर सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक उपलब्ध होंगे.
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सोमवार से शुक्रवार: ₹120
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शनिवार और रविवार: ₹180
कैसे पहुंचे सूरजकुंड?
सूरजकुंड तक पहुंचने के लिए कई परिवहन विकल्प उपलब्ध हैं:
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बस सेवा: दिल्ली के आईएसबीटी, शिवाजी स्टेडियम, गुड़गांव, फरीदाबाद और सूरजकुंड से बसें चलाई जा रही हैं.
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मेट्रो व रेलवे: नज़दीकी मेट्रो स्टेशन या रेलवे स्टेशन से उतरकर टैक्सी या कैब द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है.
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सड़क मार्ग: दिल्ली, गुड़गांव और फरीदाबाद से सड़क मार्ग के जरिए निजी या किराए के वाहन से पहुंचा जा सकता है.
वाहनों के लिए पार्किंग व्यवस्था
डीएमआरसी द्वारा मेले के दौरान दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए 10 विशेष पार्किंग स्थल बनाए गए हैं. इसके अलावा, समूह में आने वाले आगंतुकों के लिए बस पार्किंग की अलग व्यवस्था की गई है.
इस बार मेले में क्या है खास?
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42 देशों के कारीगरों की भागीदारी, जिससे यह एक वैश्विक स्तर का सांस्कृतिक आयोजन बन गया है.
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ओडिशा और मध्य प्रदेश की थीम, जिससे इन राज्यों की लोककला और संस्कृति को करीब से जानने का मौका मिलेगा.
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लोक नृत्य, संगीत और व्यंजनों का संगम, जहां पारंपरिक कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे.
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हस्तशिल्प और हस्तनिर्मित वस्त्रों की अनूठी प्रदर्शनी, जहां दुर्लभ और सुंदर कलाकृतियों की खरीदारी की जा सकती है.


