ताज महल, शिव मंदिर या तेजो महालय? फिर छिड़ी चर्चा, जानें क्या है विवाद
Taj Mahal controversy: ताजमहल प्रेम का प्रतीक है या तेजो महालय, शिव मंदिर? लंबे समय से चला आ रहा यह विवाद फिर से चर्चा में आ गया है. तेजो महालय का दावा सबसे पहले इतिहासकार पी.एन. ओक ने किया था, जिन्होंने तर्क दिया था कि ताज भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर था, जिसे 4वीं शताब्दी में राजा परमर्दि देव ने बनवाया था, और शाहजहां ने इसे अपने अधीन करके एक मकबरे में बदल दिया था.

Taj Mahal controversy: ताजमहल प्रेम का प्रतीक है या तेजो महालय, शिव मंदिर? लंबे समय से चला आ रहा यह विवाद फिर से चर्चा में आ गया है, जब अखिल भारतीय हिंदू महासभा (एबीएचएम) ने दावा किया कि उसने इस स्थल पर 'गंगा जल' चढ़ाया है, जिसके चलते श्रावण मास के दौरान उसके दो सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया गया. इसके साथ ही एक अन्य एबीएचएम कार्यकर्ता को समाधि स्थल के संगमरमर के मंच पर भगवा झंडा लहराने के लिए हिरासत में लिया गया, जबकि एक महिला को कांवड़ लेकर प्रवेश करने की कोशिश के लिए हिरासत में लिया गया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ABHM का मानना है कि यह स्मारक भगवान शिव का मंदिर है. इस बीच न्यूज 18 के मुताबिक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष ऋषि त्रिवेदी ने कहा कि वे गलत नहीं थे क्योंकि उन्होंने ताजमहल पर नहीं बल्कि शिव मंदिर में 'गंगा जल' चढ़ाया था. उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि मंदिर में जल चढ़ाना या जलाभिषेक करना कोई अपराध है.' त्रिवेदी ने कहा कि यदि उनके कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा नहीं किया गया तो संगठन आगरा पुलिस की उदासीनता के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेगा.
सीमा राठौर ने क्या कहा?
इस बीच स्मारक पर भगवा झंडा लहराने वाली महिला सीमा राठौर ने कहा कि जलाभिषेक करना 'भगवान शिव की अपनी इच्छा' है. मैंने उन्हें अपने सपनों में देखा और इसलिए, मैं गंगा जल चढ़ाने के लिए कांवड़ लेकर तेजो महालय आई. पुलिसवालों ने मुझे रोका लेकिन मैं भगवा झंडा लहराने में कामयाब रही. यही हमारी जीत है,'
'हमारा संघर्ष जारी रहेगा'
इस दौरान एबीएचएम के प्रवक्ता संजय जाट ने कहा, 'तेजो महालय में पूजा करना हमारा अधिकार है. जब प्रशासन दूसरे समुदाय को उर्स मनाने की अनुमति दे सकता है, तो हम सनातनियों को भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए स्मारक पर जलाभिषेक क्यों नहीं करना चाहिए? तेजो महालय का दर्जा वापस पाने के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा.'
क्या है विवाद की जड़ें?
तेजो महालय का दावा पहली बार इतिहासकार पी.एन. ओक ने 1989 में अपनी पुस्तक 'ताज महल: द ट्रू स्टोरी' में किया था. भारतीय इतिहास के पुनर्लेखन संस्थान के संस्थापक ओक का मानना था कि मुस्लिम शासकों के कई स्मारक मूल रूप से हिंदू थे. उनकी अन्य रचनाओं में 'लखनऊ के इमामबाड़े हिंदू महल हैं' और 'दिल्ली का लाल किला हिंदू लालकोट है'. हालांकि, ताजमहल पर उनकी 1989 की किताब आज भी विवादों को हवा दे रही है.
ओक ने तर्क दिया कि ताज भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर था, जिसे 4वीं शताब्दी में राजा परमर्दि देव ने बनवाया था. उन्होंने दावा किया कि ताज महल, तेजो महालय का गलत उच्चारण है और मंदिर पर शाहजहां ने कब्ज़ा कर लिया था, जिसने इसे मकबरे में बदल दिया था.
ओक ने 2000 में सुप्रीम कोर्ट में 'हमारे देश की सच्चाई और सांस्कृतिक विरासत को फिर से स्थापित करने' के लिए याचिका भी दायर की थी, लेकिन उनकी याचिका को गलत तरीके से तैयार बताकर खारिज कर दिया गया था. ओक की मृत्यु 2007 में हो गई, लेकिन तब तक उनका सिद्धांत हिंदू दक्षिणपंथियों के बीच फैल चुका था, और कई लोगों ने इसमें अपने विचार भी जोड़ दिए.


