आज आएगा केरल स्थानीय निकाय चुनाव का रिजल्ट, बीजेपी के लिए क्यों है अहम? अमित शाह ने किया ये दावा
केरल के स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजे आज घोषित होंगे. रिकॉर्ड मतदान के बीच एलडीएफ, यूडीएफ और बीजेपी के लिए ये परिणाम 2026 विधानसभा चुनावों की रणनीति तय करेंगे, जहां बीजेपी तीसरी बड़ी ताकत बनने की कोशिश में है.

कोच्चिः केरल में हुए स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजे आज घोषित किए जाएंगे. राज्य चुनाव आयोग (SEC) के मुताबिक, मतों की गिनती सुबह आठ बजे से शुरू होगी. इस चुनाव में राज्यभर में दो करोड़ से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये नतीजे 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए सभी दलों और गठबंधनों की रणनीति तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे.
राज्य में राजनीतिक समीकरण
फिलहाल केरल में माकपा के नेतृत्व वाला वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) सत्ता में है, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाला संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (UDF) मुख्य विपक्ष की भूमिका निभा रहा है. वहीं भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उसके नेतृत्व वाला राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) लगातार अपने जनाधार का विस्तार कर तीसरी बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में उभरने की कोशिश कर रहे हैं.
रिकॉर्ड मतदान ने बढ़ाई उत्सुकता
राज्य चुनाव आयुक्त ए शाहजहां ने बताया कि इस बार स्थानीय निकाय चुनावों में 1995 के बाद सबसे अधिक मतदान दर्ज किया गया है. चुनाव दो चरणों में कराए गए थे. पहले चरण में 9 दिसंबर को 70.91 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि दूसरे चरण में 76.08 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले. कुल मिलाकर मतदान प्रतिशत 73.69 रहा. निर्वाचित पंचायत सदस्यों और नगर पार्षदों का शपथ ग्रहण 21 दिसंबर को सुबह 10 बजे किया जाएगा.
शहरी इलाकों पर बीजेपी का फोकस
इस बार बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है. खासतौर पर शहरी क्षेत्रों पर उसका ध्यान रहा, हालांकि ग्रामीण इलाकों में भी गठबंधन ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश की. लोकसभा चुनावों में मिली सफलता और केंद्र सरकार की योजनाओं की लोकप्रियता को भुनाते हुए एनडीए का लक्ष्य तिरुवनंतपुरम और त्रिशूर जैसे बड़े नगर निगमों में मजबूत प्रदर्शन करना है. साथ ही नगरपालिकाओं और ग्राम पंचायतों में सीटों की संख्या बढ़ाना भी गठबंधन की प्राथमिकता रही है.
पिछले चुनावों में बीजेपी की बढ़त
बीजेपी को 2015 के स्थानीय निकाय चुनावों में पहली बड़ी सफलता मिली थी, जब उसने शहरी इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत की. 2020 के चुनावों में एनडीए ने दो नगरपालिकाओं और 19 ग्राम पंचायतों में पूर्ण बहुमत हासिल किया था और कुल वोट शेयर करीब 15 प्रतिशत तक पहुंचा था. हालांकि, 2021 के विधानसभा चुनावों में पार्टी अपनी एकमात्र सीट भी गंवा बैठी, जिसके बाद उसने जमीनी स्तर पर संगठन मजबूत करने पर जोर दिया.
किन वर्गों में बढ़ाई पैठ
बीजेपी ने दशकों से केरल की राजनीति पर हावी एलडीएफ और यूडीएफ की द्विध्रुवीय व्यवस्था को चुनौती देने की रणनीति अपनाई है. पार्टी ने हिंदू समुदाय, खासकर नायर समाज में अपना समर्थन बढ़ाया है और रोमन कैथोलिक समुदाय तक भी पहुंच बनाने की कोशिश की है. हालांकि, लैटिन कैथोलिक, ईसाई नादर और मुस्लिम समुदायों में पार्टी की स्वीकार्यता अभी सीमित मानी जाती है, खासकर उत्तरी केरल के ग्रामीण इलाकों में.
गठबंधन की एकजुटता पर जोर
बीजेपी नेताओं का दावा है कि चुनाव से पहले उन्होंने अपने प्रमुख सहयोगी भारत धर्म जन सेना और अन्य घटक दलों के साथ आंतरिक मतभेद सुलझा लिए थे. इस बार एनडीए ने केरल की लगभग 90 प्रतिशत सीटों पर उम्मीदवार उतारे, जो स्थानीय निकाय चुनावों में उसका अब तक का सबसे बड़ा प्रयास है.
अमित शाह का दावा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा कि बीजेपी इन चुनावों में 25 प्रतिशत वोट शेयर हासिल करेगी, जो पार्टी के लिए एक नई शुरुआत साबित होगी. उन्होंने त्रिपुरा और असम का उदाहरण देते हुए कहा कि बीजेपी ने वहां भी कम वोट शेयर से शुरुआत कर सत्ता हासिल की. शाह के मुताबिक, केरल के युवा अब प्रदर्शन और नतीजों पर आधारित राजनीति चाहते हैं और आने वाले विधानसभा चुनावों में वे सिर्फ एलडीएफ और यूडीएफ के बीच सीमित विकल्पों तक बंधे नहीं रहेंगे.


