सीट शेयरिंग पर महायुती में खींचतान, BJP को मिल सकते हैं 135-140 वार्ड, शिवसेना ने रखी 90-100 सीटों की मांग
जैसे-जैसे BMC चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, महायुति गठबंधन में राजनीतिक सरगर्मी तेज़ हो गई है। भारतीय जनता पार्टी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के बीच सीट-बंटवारे की बातचीत आखिरी दौर में पहुँच गई है।

BMC चुनाव 2025:मुंबई नगर निगम (BMC) चुनाव नज़दीक आते ही महायुती गठबंधन के भीतर राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। भारतीय जनता पार्टी और एकनाथ शिंदे नेतृत्व वाली शिवसेना के बीच सीट बंटवारे को लेकर चर्चा अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है। हालांकि, दोनों दलों के बीच वार्डों की संख्या को लेकर खींचतान भी बढ़ती जा रही है।
शिवसेना ने रखी 90-100 सीटों की मांग
शिवसेना ने आगामी बीएमसी चुनाव में 90 से 100 सीटों पर लड़ने की मांग की है। पार्टी का तर्क है कि मुंबई में उसका संगठनात्मक ढांचा अब भी मजबूत है और कई वार्डों में शिवसेना की जड़ें बेहद गहरी हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, दादर, महालक्ष्मी, वडाला, अंधेरी से लेकर पूर्वी उपनगरों तक शिवसेना का लंबे समय से वर्चस्व रहा है।
दूसरी ओर, भाजपा मुंबई में 135 से 140 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। 2017 के बीएमसी चुनाव में 227 सीटों में से शिवसेना ने 84 और भाजपा ने 82 सीटें जीती थीं, और दोनों दल अलग-अलग चुनावी मैदान में उतरे थे।इस बार गठबंधन के साथ चुनाव लड़ने की रणनीति बन रही है, लेकिन भाजपा की सीट मांग ने बात को जटिल बना दिया है।
सूत्रों का कहना है कि महायुती ने सीट शेयरिंग का प्रारंभिक फॉर्मूला लगभग तैयार कर लिया है। मुंबई, ठाणे, नासिक और कल्याण-डोंबिवली में भाजपा और शिवसेना साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।हालांकि पुणे और पिंपरी-चिंचवड में भाजपा और अजित पवार गुट की एनसीपी अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरेंगे।
नवी मुंबई पर अब भी बना सस्पेंस
नवी मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के लिए सीट शेयरिंग पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका है। महायुती के नेता मानते हैं कि जहां भी संभव हो, चुनाव गठबंधन के रूप में लड़ा जाएगा, और जहां सहमति न बने वहां “फ्रेंडली कॉन्टेस्ट” की स्थिति रहने की संभावना है।
बुधवार को नागपुर में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र चव्हाण और चंद्रशेखर बावनकुले की बैठक हुई।बैठक के बाद बावनकुले ने कहा कि शिवसेना की 90-100 सीटों की मांग पर चर्चा जारी है और तकनीकी विवरणों की समीक्षा के बाद ही अंतिम फैसला होगा।
इसके लिए भाजपा और शिवसेना की ओर से चार-चार पदाधिकारियों की एक समिति बनाई जाएगी, जो अंतिम प्रस्ताव तैयार करेगी। वरिष्ठ नेताओं द्वारा मतभेदों का निपटारा किए जाने की उम्मीद जताई गई है।


