CM फडणवीस से फिर मिले उद्धव ठाकरे, साथ थे विधायक… 'ऑफर' के अगले ही दिन बढ़ी हलचल
उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस की 20 मिनट की मुलाकात में नेता प्रतिपक्ष पद, त्रिभाषा सूत्र और हिंदी भाषा की अनिवार्यता जैसे मुद्दों पर गंभीर चर्चा हुई. फडणवीस के 'सियासी ऑफर' और राज ठाकरे के साथ ठाकरे की बढ़ती नजदीकी ने महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरणों के संकेत दे दिए हैं.

महाराष्ट्र की राजनीति में गुरुवार को एक दिलचस्प मोड़ आया, जब शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे और राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मुलाकात विधानसभा के अंटी-चेंबर में हुई. करीब 20 मिनट हुई इस मुलाकात में कई अहम राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसमें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद, त्रिभाषा सूत्र और हिंदी भाषा की अनिवार्यता जैसे विषय प्रमुख रहे.
उद्धव ठाकरे के साथ उनके बेटे और विधायक आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे. दिलचस्प बात ये रही कि इस दौरान उद्धव ठाकरे ने फडणवीस को ‘हिंदी की जबरदस्ती आखिर क्यों?’ नामक पुस्तक भेंट की, जिस पर उपमुख्यमंत्री ने इसे समिति के अध्यक्ष नरेंद्र जाधव को भी देने का सुझाव दिया.
नेता प्रतिपक्ष को लेकर उठी आवाज
अब तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद उद्धव ठाकरे गुट को नहीं मिला है. इस मुद्दे को लेकर ही उद्धव ठाकरे ने फडणवीस से सीधी बातचीत की. ठाकरे के साथ उनके कुछ विधायक भी मौजूद रहे. सूत्रों के अनुसार, ठाकरे ने इस पद को लेकर अपनी राजनीतिक और संवैधानिक दावेदारी रखी और अध्यक्ष से अपेक्षित निर्णय की मांग की.
भाषा विवाद पर भी गरमी
उद्धव ठाकरे द्वारा दी गई पुस्तक ‘हिंदी की जबरदस्ती आखिर क्यों?’ के जरिए उन्होंने राज्य में हिंदी थोपे जाने के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया. फडणवीस ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस पुस्तक को समिति के अध्यक्ष नरेंद्र जाधव को भी दिया जाना चाहिए.
बता दें कि विधानसभा सत्र के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को एक सियासी ऑफर भी दे डाला. उन्होंने कहा कि 2029 तक तो कोई स्कोप नहीं है, लेकिन उद्धवजी, आपको यहां शामिल करने पर विचार किया जा सकता है. हालांकि इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि जाने दीजिए, ये सब हंसी मजाक की बातें हैं.
राज ठाकरे की नजदीकी और संयुक्त रैली का संदर्भ
इस मुलाकात के राजनीतिक मायने इसलिए भी अहम माने जा रहे हैं क्योंकि हाल ही में उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे की नजदीकियां बढ़ी हैं. दोनों नेताओं ने 5 जुलाई को एक संयुक्त रैली की थी, जिसमें मराठी बनाम हिंदी भाषा विवाद पर राज्य सरकार को घेरा गया था. ऐसे में फडणवीस का ये ऑफर सियासी समीकरणों में बदलाव का संकेत माना जा रहा है.


