ये कैसी शराबबंदी! खुद हेड मास्टर टल्ली होकर पहुंचा स्कूल, पुलिस ने किया गिरफ्तार
बिहार के पूर्वी चंपारण में एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक को नशे में स्कूल पहुंचने पर गिरफ्तार किया गया. बच्चों ने यह जानकारी अभिभावकों को दी, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की. प्रधानाध्यापक का मेडिकल जांच में शराब पीने की पुष्टि हुई, जिससे शराबबंदी की प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं.

बिहार में पूर्ण शराब बंदी लागू है, लेकिन इसके बावजूद राज्य में शराब के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. इसका ताजातरीन उदाहरण पूर्वी चंपारण जिले के कुड़वा चैनपुर थाना क्षेत्र स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय, खरूही गांव में देखने को मिला, जहां एक सरकारी स्कूल के हेड मास्टर शराब के नशे में स्कूल पहुंच गए. इस घटना ने राज्य की शराब बंदी को लेकर उठते सवालों को फिर से उजागर किया है.
यह घटना बुधवार की सुबह की है, जब हेड मास्टर राम स्वार्थ प्रसाद अपने स्कूल पहुंचे, लेकिन वह शराब के नशे में थे. स्कूल के छात्र-छात्राओं ने जब उन्हें नशे की हालत में देखा, तो वे चौंक गए. बच्चों ने जल्दी ही यह जानकारी अपने अभिभावकों को दी. इसके बाद, अभिभावकों ने पुलिस को सूचित किया, जो तुरंत घटनास्थल पर पहुंची. पुलिस ने जब स्कूल में पहुंचकर हेड मास्टर को देखा तो वह मदिरा पान में झूमते हुए नजर आए.
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए हेड मास्टर को नशे की हालत में गिरफ्तार कर लिया. हेड मास्टर के लड़खड़ाते कदमों को देखकर हर कोई हैरान था. गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने उनका मेडिकल परीक्षण कराया, जिसमें शराब पीने की पुष्टि हुई. इसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर न्यायालय में पेश करने की प्रक्रिया शुरू कर दी.
शराब बंदी के बावजूद जारी है शराब का कारोबार
यह घटना बिहार सरकार की शराब बंदी नीति पर सवाल खड़ा करती है, क्योंकि राज्य में शराब की तस्करी और अवैध कारोबार अब भी जारी है. पुलिस प्रशासन के तमाम दावों और शराब बंदी के बावजूद राज्य में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जो इस नीति की प्रभावशीलता पर संदेह उत्पन्न करते हैं.
शराब के खिलाफ प्रशासन की सख्ती जरूरी
बिहार में शराब बंदी के लागू होने के बावजूद इस तरह की घटनाएं चिंता का विषय हैं. यह घटना दर्शाती है कि शराब का कारोबार और उसका सेवन अब भी बड़े पैमाने पर हो रहा है. इसके पीछे तस्करी और अवैध तरीके से शराब की उपलब्धता मुख्य कारण हो सकते हैं. राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को इस पर कड़ी नजर रखनी होगी और शराब के तस्करों के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे. साथ ही, शराब पीने वालों के खिलाफ भी कठोर दंडात्मक कार्रवाई करनी होगी, ताकि शराब बंदी को वास्तव में प्रभावी बनाया जा सके.
इस घटना ने यह भी साबित कर दिया कि जहां एक ओर शराब बंदी के नाम पर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, वहीं दूसरी ओर सच्चाई यह है कि अवैध शराब की बिक्री और सेवन पर नियंत्रण पाना एक बड़ी चुनौती बन चुका है. यदि इस दिशा में सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो शराब बंदी की नीति महज एक कागजी हवाई बात बनकर रह जाएगी.